प्रीति तालीम से बदलना चाहती हैं महिलाओं की तकदीर

प्रीति तालीम से बदलना चाहती हैं महिलाओं की तकदीर

प्रीति हुड्डा, UPSC परीक्षा में 288वां स्थान।

एस के यादव

JNU को लेकर पिछले तीन साल से तरह तरह की अफवाहें सुर्खियों में रही वहीं उसके पॉजेटिव पक्ष की अनदेखी की गई । JNU के छात्रों ने हमेशा अपनी प्रतिभा का प्रदर्शन किया है। इस साल भी UPSC में करीब 50 छात्रों ने सफलता हासिल की है। उनमें से प्रीति हुड्डा भी एक हैं। प्रीति हुड्डा हरियाणा के झज्जर की रहने वाली हैं। पिता DTC में ड्राइवर हैं और माता गृहणी। प्रीति हुड्डा ने 10वीं में 77 प्रतिशत और 12वीं में 87 प्रतिशत अंक प्राप्त किए। लक्ष्मी बाई कॉलेज दिल्ली से हिंदी में बैचलर ऑफ आर्ट में 76 प्रतिशत अंक मिले। अपनी लगन और मेहनत के बल पर प्रीति ने UPSC परीक्षा में 288वां स्थान हासिल किया है।

एक मुलाकात के दौरान उन्होंने सफलता का मंत्र बताया और ये भी जिक्र किया कि आखिर क्यों बेहतर है JNU और यहां छात्रों को क्या मिलता है ? उन्होंने कहा,-“JNU में इस बार भी बेहतर रिजल्ट रहे हैं । JNU छात्रों को अच्छा प्लेटफॉर्म देता है । यहां के छात्रों की सोच तार्किक होती है । यहां किसी भी सब्जेक्ट, समाज के बारे में एक तार्किक सोच है, इसलिए यहां के बच्चों में समझ होती है और किसी भी प्रतियोगी परीक्षा में बेहतर करते हैं।”

प्रीति हुड्डा ने उस नजरिये को तोड़ा जिसमें ये कहा जाता है कि बिना कोचिंग UPSC की परीक्षा पास करना मुश्किल होता है । अगर लगन हो तो परिवारिक बैकग्राउंड भी उतना मायने नहीं रखता। “मैं बिल्कुल साधारण परिवार की हूं । मेरे पिताजी DTC में ड्राइवर हैं और संयुक्त परिवार में मैं पली बढ़ी हूं। हमारे यहां खासकर लड़कियों की शिक्षा के बारे में बहुत ध्यान नहीं दिया जाता है। लड़कियों को ग्रेजुएशन करा दो फिर शादी कर दो ऐसी सोच है। लेकिन मेरे माता-पिता ने मुझे उच्च शिक्षा दी और मेरा JNU में एडमिशन हुआ  यहां आने के बाद मेरा आत्मविश्वास बढ़ा । मैंने पिता जी के सामने अपनी बात रखी और कहा कि मैं आगे बढ़ना चाहती हूं और कुछ करना है। पिता ने मुझे इस बात का मौका दिया। पिता ने कहा कि तुम्हें क्या करना है, क्या नहीं करना है खुद तय करो, क्योंकि तुम खुद निर्णय ले सकती हो। मैंने JNU में दोस्तों के बीच रहकर ये समझा कि यूपीएससी की तैयारी के क्या मायने हैं और सोसाइयटी में इसका क्या महत्व है। मैं एक साधारण परिवार से आती हूं लेकिन जेएनयू ने मुझे एक प्लेटफॉर्म दिया। मैं मानती हूं कि जेएनयू में मिले माहौल की वजह से ही मैं UPSC की परीक्षा को क्रेक कर पाई। परिवार का सपोर्ट इस बारे में रहा कि उन्होंने मुझ पर विश्वास किया और मुझे प्रूव करने का मौका दिया। एक लड़की होने के बावजूद मुझे यहां भेजा क्योंकि हरियाणा में  लड़के-लड़की का भेद है लेकिन मेरे परिवार ने हर तरीके से मेरा साथ दिया। “

अक्सर बात होती है कि सिविल सेवा परीक्षाओं की तैयारी करने के लिए 12 से 15 घंटे की पढ़ाई की जाती है । लेकिन प्रीति ने ऐसा कुछ नहीं किया । इस बारे में उनका कहना था कि “कोई भी घंटे फिक्स करके पढ़ाई या तैयारी नहीं करता। मेरा मानना है कि ऐसा नहीं किया जा सकता। जब आपका मन लगे, जब चीजें आपको समझ में आएं तब आप पढ़ाई करें। अगर आपको लग रहा है कि कुछ समझ में नहीं आ रहा है तो आपको एकदम बांध कर घंटों तक पढ़ाई नहीं करनी चाहिए। जहां तक जेएनयू में तैयारी की बात करें तो यहां कोई टाइम फिक्स करके पढ़ाई नहीं करता है। जब विषय वस्तु समझ आने लगती है और मन लगने लगता है तो यहां घंटों तक पढ़ाई होती है। अधिकतम 8 से 10 घंटे की पढ़ाई होती है। जब परीक्षा करीब होती है तो हम लोग 10 से 12 घंटे की पढ़ाई करते हैं। “

प्रीति हुड्डा ने बताया कि इंटरव्यू के बाद उन्हें भरोसा था कि वो इस बार परीक्षा पास कर जाएंगी । क्योंकि इंटरव्यू भी काफी अच्छा हुआ था। “मेरा इंटरव्यू पॉजिटिव था लेकिन पहली बार मैं इंटरव्यू में शामिल हुई थी। मुझे नहीं पता था कि कैसा माहौल होता है और क्या पूछा जाता है। लेकिन अपेक्षाकृत मेरा इंटरव्यू अच्छा हुआ था। मैं अपने इंटरव्यू से काफी खुश थी। लेकिन परिणाम को लेकर एक असमंजस था।”

प्रीति हुड्डा से करीब 30 मिनट तक चले इंटरव्यू के दौरान कई सवाल पूछे गए।“मुझसे सतलज-यमुना लिंक विवाद मामले को लेकर सवाल पूछा गया। उन्होंने पूछा कि क्या हरियाणा को पानी मिलना चाहिए या नहीं ? बहुत ही डायरेक्ट सवाल पूछा गया। इस सवाल का मैंने तार्किक ढंग से जवाब दिया। हरियाणा में ट्यूबवेल से नहीं नहरों से सिंचाई होती है। ग्राउंड वाटर रिचार्ज ना होने की स्थिति में ट्यूबवेल काम नहीं करते हैं। इसलिए हरियाणा में नहरों की ज्यादा जरूरत है। इसलिए हरियाणा को पानी मिलना चाहिए। दूसरा सवाल जेएनयू के स्टूडेंट पॉलिटिक्स पर पूछा गया। मुझसे पूछा गया कि जेएनयू हमेशा निगेटिव इमेज में क्यों रहता है ? पिछले दो साल से निगेटिव खबरें ही क्यों आ रही हैं ? उन्होंने पूछा कि बच्चे पढ़ने के लिए आते हैं तो फिर पॉलिटिक्स क्यों करने लगते हैं ? इस मामले पर मेरा नजरिया पूछा गया। मैंने बताया कि हम आज छात्र हैं। हमें ही कल समाज में जाना है। हमें एक अच्छा नागरिक बनना है और आज के दिन राजनीति इंसान की जिंदगी में प्रत्यक्ष या अप्रत्यक्ष रूप से घुसी हुई है और पूरी तरह से प्रभावित करती है। न चाहते हुए भी आप इससे दूर नहीं रह सकते ये आपकी जिंदगी में है। हमारे नेता क्या सोच रहे हैं, क्या नियम-कानून बना रहे हैं, देश को कैसे चला रहे हैं ये सब जानना जरूरी है। अगर हम आज ही इस चीज को नहीं समझेंगे, आज ही सवाल नहीं उठाएंगे तो कल कैसे सवाल कर सकते हैं ? आज तो हमें समझने का मौका मिल रहा है। ”

प्रीति हुड्डा जेएनयू से पीएचडी कर रही हैं । ’19वीं शताब्दी का हिंदी स्त्री लेखन’ पर शोध कर रही हैं। प्रीति ने बताया कि इंटरव्यू के दौरान महिला शिक्षा और महिलाओं से जुड़े तमाम मुद्दों पर सवाल किए गए। इंटरव्यू में पूछा गया कि आखिर आपने ’19वीं शताब्दी का हिंदी स्त्री लेखन’ विषय क्यों चुना ? “अभी तक जो हिंदी साहित्य के इतिहास में 19वीं शताब्दी में महिलाओं ने जो लिखा उसको एक तरह से नकारा ही गया। उस पर कोई शोध नहीं हुआ है। इस बात का ख्याल नहीं रखा गया कि उस वक्त लेखन क्षेत्र में महिलाएं क्या कर रही थीं ? उनके लेखन को जगह नहीं दी गई। अब मैं उन्हें सहेज रही हूं। उस वक्त की महिला लेखकों की लेखनी को ढूंढ कर पढ़ रही हूं और मैं इन्हें सबके सामने लाऊंगी। “

 प्रीति से पूछा गया कि इंटरव्यू पैनल में महिला अधिकारी का होना महिला अभ्यर्थियों के लिए क्या मायने रखता है ? उन्होंने कहा- “खासकर उन लड़कियों के लिए अच्छा रहता है जो दिल्ली जैसे शहरों से बाहर की होती हैं। जेएनयू की लड़कियों के लिए इसका बहुत ज्यादा मतलब नहीं होता। क्योंकि वो किसी भी स्थिति में सहज ही रहती हैं। लेकिन जो लड़कियां बाहर से आती हैं, जिन्हें पुरुषों के बीच बातचीत करने में परेशानी होती है उनके लिए पैनल में महिला होने से मदद मिलती है, माहौल थोड़ा सहज हो जाता है।”

प्रीति हुड्डा का मकसद है कि अधिकारी बन कर वो महिलाओं की शिक्षा के क्षेत्र में सार्थक हस्तक्षेप करें। वो तालीम के जरिए लड़कियों की ज़िंदगी में खुशी लाना चाहती हैं। उन्हें ये देखकर अचरज होता है कि महिला शिक्षा के क्षेत्र में सदी भर पहले जो काम सावित्री बाई फुले ने किया, आज उसका दशांश भी नहीं हो रहा। स्त्री शिक्षा की सिर्फ बात होती है, उस पर काम नहीं किया जाता।

One thought on “प्रीति तालीम से बदलना चाहती हैं महिलाओं की तकदीर

  1. जो कहते रहे हैं कि छात्रों को राजनीति से दूर रहना चाहिए , ऐऐसे कुंठित लोगों को प्रीति हुड्डा के राजनीति सम्बंधी इस समझ से सीख लेनी चाहिए। बधाई प्रीतिँ नमन तेरे संघर्षों और समझ को भी।

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