दरमा घाटी जाएं तो कुछ टॉफी चॉकलेट जरूर ले जाएं

दरमा घाटी जाएं तो कुछ टॉफी चॉकलेट जरूर ले जाएं

विनोद कापड़ी के फेसबुक वॉल से


दरमा घाटी की सैर जितनी यादगार है, उससे कहीं ज्यादा रोमांचकारी। रास्ता जितना दुर्गम है उतना ही दिलचस्प भी । पिछले दिनों वरिष्ठ पत्रकार और फिल्म डायरेक्टर विनोद कापड़ी और उनकी टीम ने दरमा घाटी की सैर की। दरमा घाटी के सौंदर्य को अपनी यादों में समेटने के साथ विनोद कापड़ी की टीम ने घाटी के बाशिंदों की मुश्किलों और जरूरतों को बेहद करीब से समझा और सोशल मीडिया पर साझा भी किया। बदलाव पर पढ़िए दरमा घाटी की सैर की दूसरी कड़ी ।

दरमा घाटी की सैर पार्ट-2

दरमा घाटी के रास्ते में आपको सड़क किनारे दर्जनों झोंपड़ियां मिलेंगी। जिसमें नेपाली मज़दूर अपने परिवार सहित रहते हैं और सड़क बनाने का काम करते हैं। अशोक दा को ये पहले से पता था, लिहाजा उन्होंने कार में टॉफ़ी और चॉकलेट के 7-8 पैकेट रखवा लिए थे और जहां भी बच्चे और परिवार दिखते कार रूक जाती थी और बच्चे ख़ुश हो जाते। अगर आप भी कभी दरमा घाटी जाएं तो अपने साथ टॉफ़ी चॉकलेट ज़रूर रखें । पंचाचूली बेस कैंप पहुँचने से पहले जब आप दुर्गम रास्ते पार करेंगे तो आपको लगेगा कि थोड़ा सा रिस्क ले कर आपने ठीक ही किया। दरमा से पहले की घाटी आप देखेंगे तो समझ जाएंगे।

दरमा घाटी के गांव छह महीने नवंबर से अप्रैल तक ख़ाली रहते हैं। वजह कड़ाके की पड़ने वाली ठंड। इस दौरान ये लोग धारचूला, जौलजीवी, बलुवाकोट या मैदानी इलाक़ों की तरफ चले जाते हैं। मई के पहले हफ़्ते में जब हम दरमा घाटी पहुँचे तो ठंड पूरी तरह कम नहीं हुई थी लिहाजा कुछ लोगों को छोड़ दें तो बड़ी संख्या में लोग अपने घर वापस नहीं लौटे थे।  5-6 घंटे के सफ़र के बाद हम धारचूला से पहुँचे पंचाचूली बेस कैंप तो यहाँ से पंचाचूली की पर्वत श्रृंखला आपको ऐसे दिखती है मानो आप उसे छू लो । अगले दिन हमने उस पर्वत श्रृंखला को छू भी लिया, लेकिन हमें यहां पंचाचूली की खूबसूरती के साथ पहाड़ों की आत्मा को और करीब से समझने का मौका मिला ।

ऊर्जा मंत्री के दावे और गांव में बिजली की हकीकत

7 मई को हम उत्तराखंड में पिथौरागढ़ की धारचूला तहसील की दरमा घाटी में पहुंचे। 10-12 गाँवों को क़रीब से देखा। यकीन मानिए किसी भी गाँव में 70 साल में बिजली नहीं आई और आज भी नहीं है। कुछ गाँव सोलर एनर्जी का इस्तेमाल कर रहे हैं। हालांकि ऊपर से आपको बिजली के बड़े-बड़े खंबों पर तार लटके नजर जरूर आ जाएंगे, लेकिन गांव वालों के लिए ये किसी काम के नहीं, क्योंकि ये तार गांव को नहीं शहर को रौशन करते हैं। जब गांव की महिलाओं से मैंने पूछा की आप लोगों ने अपने जीवन में बिजली कभी देखी है या नहीं । तो उनका जवाब मिला- ‘इस गांव में आजादी के बाद से कभी नहीं देखी है, जब हम यहां से दूर दूसरे गांव में जाते हैं तो जरूर बिजली के बल्ब जलते देखते हैं ।’ऐसे में सरकार क्यों झूठे दावे कर रही है।

ये तस्वीरें नागलिंग गाँव की हैं। दारमा घाटी के दुग्तू गाँव की इस अम्मा से जब मैंने साथ में फ़ोटो खिंचवाने का आग्रह किया तो तपाक से बोल पड़ीं “ मेरे साथ फ़ोटो लेकर क्या करेगा बेटा ? मेरे तो दाँत भी नहीं हैं। खैर अम्मा के इस निश्छल भाव के साथ हमारी टीम आगे बढ़ चली ।


VINOD AKPDI

विनोद कापड़ी/ मीडिया जगत की जानी मानी  हस्ती, स्टार न्यूज़ (एबीपी), इंडिया टीवी जैसे बड़े चैनलों में संपादकीय जिम्मेदारी संभाली। राष्ट्रीय पुरस्कार से सम्मानित फिल्मकार। आपकी दो फिल्में  पीहू और मिस टकनपुर हाजिर हो, काफी सराही गईं हैं। इन दिनों  बॉलीवुड में नए-नए प्रयोग कर रहे हैं। इन सबसे इतर बेहद जिंदादिल इंसान, जिनकी जिंदादिली देख आप हर पल दंग हो सकते हैं।


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