पाटलिपुत्र में प्लेटफॉर्म पर संवरता बचपन

पाटलिपुत्र में प्लेटफॉर्म पर संवरता बचपन

 child-adu-railदिलीप कुमार पांडे

रेलवे स्टेशन पर अमूमन यात्रियों की भागदौड़, कुलियों की आवाज़ और ट्रेन के शोरगुल के सिवाय शायद ही कुछ और सुनाई दे। ट्रेन लेट होने पर कुछ लोग रेलवे को कोसते हुए अपने कान में ईयर फोन लगाकर आस-पास के शोरगुल से खुद को बचाने की जुगत में लग जाते हैं। लेकिन कुछ लोग ऐसे भी होते हैं जो हमेशा इस शोर गुल के बीच भविष्य को संवारने में जुटे रहते हैं। पिछले दिनों  बिहार के पाटलिपुत्र रेलवे स्टेशन पर जो तस्वीर नजर आई उस पर यकीन करना मुश्किल हो रहा था।

railमैं पहली बार पाटलिपुत्र जंक्शन पहुंचा था, ट्रेन के इंतजार में प्लेटफॉर्म पर खड़ा था तभी ट्रेनों की कानफाड़ू आवाज के बीच बच्चों की आवाज सुनाई पड़ी। नज़र घुमाई तो जो देखा उस पर यकीन नहीं हो रहा था । खुले आसमान के नीचे प्लेट फॉर्म पर बने फुट ओवर ब्रिज के बगल में करीब 100 बच्चे बैठे हुए हैं और दो बच्चे सामने खड़े होकर उन्हें ABCD पढ़ा रहे हैं । बच्चे ABCD इतने ऊंचे स्वर में बोल रहे थे कि ट्रेन की आवाज भी धीमी पड़ जा रही थी । मुझे ट्रेन पकड़ने की जल्दी थी फिर भी बच्चों की आवाज को अनसूना नहीं कर सका और उनके बीच पहुंचा गया । बच्चों को प्लेट फॉर्म पर पढ़ते देख अच्छा लगा लिहाजा वहां जीआरपी की वर्दी और सिविल ड्रेस में मौजूद लोगों से बच्चों के बारे में पड़ताल शुरू की तो पता चला कि रेलवे में बतौर एसपी तैनात जितेंद्र सिंह ने अपने मातहतों के साथ मिलकर रेलवे के आसपास बसे झुग्गी बस्ती के बच्चों को पढ़ाने के लिए ये पहल की है ।

childजितेंद्र सिंह के इस सराहनी काम में उनके मातहत अधिकारी और कर्मचारी भी पूरी तल्लीनता से सहयोग कर रहे हैं । यहां पढ़ने वाले सभी बच्चें गरीब और स्लम एरिया के रहने वाले हैं लिहाजा इस क्लास की एवज में उनसे कोई भी फीस वसूल नहीं की जाती यानी पूरी तरह नि:शुल्क शिक्षा इन बच्चों को दी जा रही है । एसपी जितेंद्र से जब बात हुई तो उन्होंने बताया कि इस वक्त करीब 200 निरक्षर बच्चों को शिक्षा दी जा रही है । बच्चे और उनके परिवार के लोग एसपी जितेंद्र के इस प्रयास से काफी खुश हैं । बच्चे भी मन लगाकर पढ़ाई कर रहे हैं, जैसे ही क्लास का वक्त होता है सभी बच्चे प्लेटफॉर्म पर जमा हो जाते हैं और पूरे अनुशासन के साथ जमीन पर बैठ जाते हैं । अगर किसी कारण बस अधिकारी नहीं आए तो बच्चे आपस में ही एबीसीडी या फिर जो कुछ पढ़ाया गया रहता है उसे दोहराने लगते हैं । हालांकि अधिकारी भी तय समय पर क्लास लेने जरूर आते हैं । ज्यादातर वक्त एसपी जितेंद्र यहां खुद मौजूद रहते हैं । एसपी जितेंद्र सिंह बधाई के पात्र हैं । हमें आपको भी जितेंद्र से सीख लेनी चाहिए और सिर्फ सरकार के भरोसे बैठने की बजाय बदलाव के लिए खुद प्रयास करना चाहिए।


dilipदिलीप कुमार पांडे /एक दशक से पत्रकारिता के क्षेत्र में सक्रिय । इन दिनों इलेक्ट्रॉनिक मीडिया में सक्रिय । जनसरोकार से जुड़े मसलों पर पैनी नज़र । दिल्ली में निवास लेकिन मन गांव में ही रमता है ।

One thought on “पाटलिपुत्र में प्लेटफॉर्म पर संवरता बचपन

  1. तुम एक अनल कण हो केवल
    अनुकूल हवा लेकिन पाकर
    छप्पड तक जा सकते उड कर
    अम्बर मे आग लगा सकती.एक छोटी
    चिन्गारी भी।
    अदभचत और सराहनीय पहँ ।

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