एक कप प्याली की ऊष्मा और मिठास से भरे सोलंकी सर

एक कप प्याली की ऊष्मा और मिठास से भरे सोलंकी सर

पशुपति शर्मा

चन्द्रभान सिंह सोलंकी। मीडिया के उन कुछ चुनिंदा लोगों में हैं, जिनसे मैं हमेशा कुछ सीखता रहा हूँ। प्रोफेशनल मोर्चे पर भी और पर्सनल मोर्चे पर भी। असहमतियों के बावजूद वो आपको अपने स्पेस में दाखिल होने की छूट देते हैं। आप उनसे लड़े, झगड़ें लेकिन अगर आप अच्छे प्रोफेशनल हैं, तो वो आप का सम्मान करते हैं। आपकी उम्मीद से कहीं ज़्यादा। उनका यही पक्ष है, जिसने मुझे उनका मुरीद बना दिया है।कोरोना काल के warrior रहे हैं सोलंकी जी। सही मायने में।

शुरुआती दिनों में जितने भी साथी पॉजिटिव निकले, सभी को कई कई बार फ़ोन किया, अस्पताल से घर पहुंचने तक खबर लेते रहे। बाद के दिनों में खुद भी पॉजिटिव हुए, तो हमें चिन्ता होने लगी। हम उस फ्रीक्वेंसी से उन्हें फ़ोन नहीं कर पाए पर कोई शिकवा नहीं। बहरहाल, सोलंकी जी बातें तो खूब करते हैं लेकिन अपने निजी स्नेह, आत्मीय पलों की चर्चा कम ही पसंद करते हैं। sorry sir.

सोलंकी जी ने नई पारी india news के साथ शुरू की है। अपनी सकारात्मकता से वो पूरी टीम को नई ऊर्जा देंगे, पूरा यकीन है। आपका मूल मंत्र है- काम बोलेगा, हम नहीं।एक कप प्याली की ऊष्मा और मिठास से भरे सोलंकी सर को तमाम शुभकामनाएं।

मीडिया की पराली वाली धुंध में ‘सोलंकी वाली सांसें’