‘चमकी’ से लड़ने गांव-गांव तक पहुंच रहे ‘देवदूत

‘चमकी’ से लड़ने गांव-गांव तक पहुंच रहे ‘देवदूत

ब्रह्मानंद ठाकुर

चमकी बुखार  की बीमारी गरीब महादलित परिवार के बच्चों के लिए इस बार काल बन  कर आई है। मुजफ्फरपुर जिले के गांवों में अबतक इस बीमारी से 150 से ज्यादा बच्चों की मौत हो चुकी है। लोगों में ऐसी बीमारी की स्थिति में  तत्ककाल प्राथमिक उपचार की जानकारी और  बचाव के लिए जागरुकता का काफी अभाव है।  स्वास्थ्य महकमे की ओर से जो जागरुकता अभियान चलाए जाने का दावा किया जा रहा है वह नाकाफी है। लिहाजा कुछ पत्रकारों और स्वयंसेवकों की टीम ने मुजफ्फरपुर में इस काम का जिम्मा उठाया है।  करीब 200 लोग इस मुहिम में जुटे हुए हैं जिनमें  छात्र, पत्रकार और सामाजिक कार्यकर्ता शामिल हैं। । इनमें ज्यादातर लोग सहरसा और पटना से आए हुए हैं जो कांटी पीएचसी के निकट कैम्प किए हुए हैं और प्रभावित गांवों में घूम-घूम कर जागरुकता अभियान चलाने के साथ- साथ बच्चों को ओआरएस, ग्लुकोज पैकेट्स वितरित कर रहे हैं। थर्मामीटर से बुखार जांचने का तरीका बता रहे हैं। तेज बुखार होने की स्थिति में प्राथमिक उपचार का तरीका बता रहें हैं।  एइएस के कारणों और बचाव की जानकारी से सम्बंधित  पर्चा मुद्रित करा कर बांटा जा रहा है। यह सब किया जा रहा है जनसहयोग की बदौलत। सोशल मीडिया पर आर्थिक सहयोग की इनकी अपील   का सार्थक परिणाम मिल रहा है।

 शुक्रवार को  दिन के लगभग 10 बजे कांटी से टीम के सदस्य रौशन कुमार ने टीम बदलाव की स्थानीय इकाई से संपर्क किया और बंदरा प्रखंड में यह अभियान शुरु करने की बात कही। हमारी टीम ने पहले उन्हें बंदरा पहुंचने का मार्ग बताया और बंदरा बीडीओ से टीम के ठहरने की व्यवस्था करने की बात कही। बीडीओ इसके लिए सहर्ष राजी हो गये। दिन के 12:30  के करीब रौशन कुमार, राजा रवि, विकास कुमार, प्रिंस गुप्ता और हिमांशु कुमार हमारे गांव पीयर यानी बदलाव पाठशाला पहुंचे और हम सभी मतलुपुर पंचायत के करमैठा गांव के लिए निकल पड़े । करमैठा गांव पहुंचने के बाद पहले माइक से प्रचार कर लोगों को स्थानीय प्राइमरी स्कूल पर एकत्र किया गया। आधे घंटे के अंदर महिला, पुरुष और बच्चे मिलाकर करीब 150 लोग जमा हो गये। फिर उन्हें चमकी बुखार के कारणों एवं उससे बचाव के उपाय बताए गये। बच्चों को रात में भूखा सोने नहीं देने की बात कही गई। धूप में बाहर निकलने से मना किया गया। थर्मामीटर से बुखार जांचने का तरीका बताया गया। तेज बुखार होने की स्थिति में गीले कपड़े से लगातार शरीर पोछते रहने और फिर पीड़ित बच्चे को निकट के सरकारी अस्पताल ले जाने की सलाह दी गई। इस बीच काफी और लोग जमा हो चुके थे। फिर बच्चों को पंक्ति में बैठाकर उन्हें ओआरएस और ग्लुकोज पैकेट्स दिए गये।

वहां से हमलोग बंदरा प्रखंड मुख्यालय पहुंचे। हेल्थ मैनेजर कल्पना जी से हमारी मुलाकात हुई। उन्होंने टीम को पूरा सहयोग करने का आश्वासन दिया और बताया कि स्वास्थ्यकर्मियों द्वारा प्रखंड क्षेत्र में जागरुकता अभियान शुरू किया गया है। अल्का जी ने टीम को ओआरएस का एक कार्टून भी उपलब्ध कराया। उन्होंने बताया कि इस प्रखंड  के सिमरा, नुनफारा, बडगांव, पिरापुर और रामपुरदयाल पंचायत में जागरुकता अभियान चलाए जाने की विशेष आवश्यकता है। अब हमलोग बडगांव पंचायत के जरंगी गांव पहुंचे। वहां  अधिकांश महिलाएं अपने बच्चों के साथ उपस्थित हुईं जिन्हें चमकी बुखार से बचने एवं तत्काल प्राथमिक उपचार के बारे में बताया गया।  थर्मामीटर से बुखार जांचने का तरीका बताया गया।यहां भी बच्चों के बीच ओआरएस और ग्लुकोज का पैकट वितरित किया गया। अबतक शाम के साढ़े पांच बज चुके थे। टीम के सदस्यों को वापस 40 किमी दूर कांटी लौटना था। 

उधर पत्रकार आनन्द दत्ता भी मुजफ्फरपुर में डटे हुए हैं। इन्होंने दो दिनों के अंदर एसकेएमसीएच में दो नये प्यूरी फायर लगवाए हैं। करीब एक दर्जन से ज्यादा खराब पड़े वाटर प्यीरीफायर को दुरुस्त कराया है। मरीजों के परिजनों के बैठने वाले स्थान पर खराब पड़े पंखों को ठीक करा दिया है। इसके अतिरिक्त मरीजों के परिजनों के भोजन की व्यवस्था भी करा रहे हैं।  बताते चलूं कि गत एक सप्ताह के दौरान एसकेएमसीएच में केन्द्र से लेकर राज्य सरकार के मंत्रियों ,मुख्यमंत्री एवं बड़े-बडे अधिकारियों का जमावड़ा होता रहा मगर किसी का ध्यान इस ओर नहीं गया था। सभी आदेश-निर्देश  देकर ही चले गये लेकिन आनन्द दत्ता जी  यथासम्भव इसे दुरुस्त कराने में जुटे हुए हैं।

ब्रह्मानंद ठाकुर।बिहार के मुज़फ़्फ़रपुर के निवासी। पेशे से शिक्षक। मई 2012 के बाद से नौकरी की बंदिशें खत्म। फिलहाल समाज, संस्कृति और साहित्य की सेवा में जुटे हैं। मुजफ्फरपुर के पियर गांव में बदलाव पाठशाला का संचालन कर रहे हैं।