5 लाख गांवों को बर्बाद कर आबाद नहीं हो पाएंगे शहर- नरेंद्र सिंह

पशुपति शर्मा संपादक का कक्ष और एक युवक। किसी मुद्दे पर बातचीत के दौरान तनातनी। युवक अपनी बात पर अड़

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किस्सों से किचन तक हर दिन कुछ नया परोसती ‘हमारी आई’

पशुपति शर्मा इंडिया इंटरनेशनल सेंटर, शुक्रवार 30 मार्च की शाम। ‘आई’ के पद्मश्री तक के सफ़र पर एकाग्र एक कार्यक्रम।

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मुजफ्फरपुर के वीर सपूत जुब्बा सहनी की शहादत गाथा

ब्रह्मानंद ठाकुर ” हां, वायलर को मैंने मारा,  किसी और ने नहीं।”  यही तो कहा था भारतीय स्वतंत्रता संग्राम के योद्धा

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लोकतंत्र की काग़ज़ी खूबसूरती ज़मीन पर कब उतरेगी- उर्मिलेश

पशुपति शर्मा “हिंदुस्तान जितना खूबसूरत लोकतंत्र काग़जों पर है, उतना खूबसूरत लोकतंत्र ज़मीन पर नहीं दिखता। जबकि यूरोप के कई

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अब न रहा वो फगुआ, अब न रहे वो हुरियारे

प्रशांत पांडेय ज़िंदगी की आपा धापी में प्राथमिकताएँ बदल जाती हैं। मनुष्य समय के चक्र में फँसकर उसी के इशारे

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व्यक्ति की इच्छाओं का द्वंद्व- हयवदन

संगम पांडेय अक्षरा थिएटर में लाइट्स वगैरह की कई असुविधाएँ भले हों, पर इंटीमेट स्पेस में प्रस्तुति का घनत्व अपने

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समाजवाद के आदि नायक शिव के प्रेम का साझा उत्सव

ब्रह्मानन्द ठाकुर  महा शिवरात्रि यानी आदिम समाजवादी परिवार के मुखिया शिव के विवाह का दिन। हां, आदिम समाजवादी व्यवस्था मतलब

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संतूर वादन से झंकृत हो गए पूर्णिया के तार

डॉ शंभु लाल वर्मा ‘कुशाग्र’ पूर्णिया के विद्या विहार इंस्टीच्यूट ऑफ टेक्नलॉजी में स्पीक मैके की ओर से संतूर वादन

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