उर्मिलेश भारतीय जनता पार्टी में एक नहीं, अनेक ‘अय्यर’ हैं, उनसे ज्यादा अमर्यादित और असयंमित शब्द निकालने वाले! उन्हें अपशब्दों
Category: मेरा गांव, मेरा देश
‘भोजपुरी दर्शकों की सोच को समझने की ज़रूरत’
धनंजय कुमार भोजपुरी फ़िल्मों के दर्शक पूरे बिहार, झारखंड और पूर्वी उत्तर प्रदेश में तो हैं ही, मुम्बई से लेकर
मीडिया से गांव गायब बताना आंचलिक पत्रकारिता की अनदेखी है
शिरीष खरे क्या मीडिया से गांव गायब हो गए हैं? जवाब है- हां। यदि कोई एक जगह से एक जगह
‘खिड़की’ से झांकता लेखक और वो लड़की
संगम पांडेय विकास बाहरी के नाटक ‘खिड़की’ में कथानक के भीतर घुसकर उसकी पर्तें बनाने और खोलने की एक युक्ति
गुजरात में गांधी के मायने समझने की एक कोशिश
धीरेंद्र पुंडीर गुजरात में दांडी यात्रा के बाद दिल्ली के रास्ते में आते वक्त सोच रहा था कि दांडी यात्रा
महोबा में खुले आसमान के नीचे संवरता देश का भविष्य
आशीष सागर यूपी के बुंदेलखंड का नाम नाम आते ही हर किसी के जेहन में भुखमरी, बेरोजगारी, बदहाल किसान और
गुजरात की सियासी पिच पर जिग्नेश की ‘जमात’ पारी
शिरीष खरे जिग्नेश के रहने का अंदाज और पहनावा उन्हें मुख्यधारा के नेताओं से अलग करता है। उनकी जिंदगी के
सौर ऊर्जा से खेतों में सिंचाई कीजिए, और फसलों की छंटाई भी
सौर ऊर्जा आज हमारे देश में वैकल्पिक ऊर्जा का प्रमुख साधन बन चुकी है । अमूमन लोग सौर ऊर्जा का
एक ऐसा फ्रीजर जो बिना बिजली के दूध रखता है ठंडा
भारत में हर साल गांव वाले 102 मिलियन गैलन यानी 38 करोड़ 61 लाख 12 हजार लीटर दूध का उत्पादन
पद्मावती मिथकों-किस्सों में भी सम्मान की हक़दार तो है!
धीरेंद्र पुंडीर “सोना सभी का रक्त बहाता और फिर भी अपने स्थान पर रहता है कोई ऐसा नहीं जो कि