मजदूरी को मजबूर बिहार के पूर्व मुख्यमंत्री का परिवार

पुष्यमित्र के फेसबुक वॉल से साभार पूर्णिया शहर के मधुबनी बाजार की ये तस्वीर वैसी ही है जैसी किसी भी

और पढ़ें >

मौसम का बदलता मिजाज और सियासत का चढ़ता पारा

संजय पकंज मौसम बदल रहा है। वातावरण में सर्दी उतरने के लिए उसाँसें भर रही है । बहुत धीमी चाल

और पढ़ें >

समान शिक्षा ही समाज में समानता का बेहतर विकल्प

शिरीष खरे ‘स्कूल चले हम’ कहते वक्त अलग-अलग स्कूलों में पल रही गैरबराबरी पर हमारा ध्यान ही नहीं जाता। एक

और पढ़ें >

एसी वाले ‘बाबाओं’ की क्रांति और घोंचू भाई का मंत्र

ब्रह्मानंद ठाकुर विप्लव जी इन दिनों गांव आए हुए है। इनका मूल नाम समरेन्द्र कुमार है लेकिन महानगर में जाकर

और पढ़ें >

अखबार के जरिए यथार्थ से जुड़ना, एक मुगालता- आलोक श्रीवास्तव

पशुपति शर्मा पत्रकारिता में वैश्वीकरण के बाद एक नया बदलाव आया है। वो समाज के बड़े मुद्दों पर बात नहीं

और पढ़ें >

राजनीतिक गणित में बुरी तरह से उलझ कर रह गई हिन्दी

डॉ संजय पंकज हिन्दी को राजभाषा का दर्जा देकर सरकार भूल गई। १४ सितम्बर १९४९ से हर वर्ष हिन्दी दिवस मनाने

और पढ़ें >

1 52 53 54 55 56 128