इलाहाबाद में रंग प्रेमियों ने मनाया बंसी दा की स्मृतियों का उत्सव

इलाहाबाद में रंग प्रेमियों ने मनाया बंसी दा की स्मृतियों का उत्सव

‘निर्देशक नाटक में रहते हुए भी मंच पर अनुपस्थित रहकर अपनी उपस्थिति दर्ज कराता है।आज बंसी कौल भले ही शारीरिक रूप से हमारे साथ न हों लेकिन आज वे अनुपस्थित रहकर भी हम सबके साथ हैं और हमारे दिलों में हमेशा रहेंगे। उक्त विचार समानान्तर इलाहाबाद द्वारा स्वराज विद्यापीठ के सहयोग से आयोजित ‘स्मरण:बंसी कौल’ में अध्यक्षता कर रहे वरिष्ठ साहित्यकार प्रो. राजेन्द्र कुमार जी ने कहीं।उन्होंने आगे कहा,’राजकाज कोई कलाकार नहीं कर सकता,लेकिन राजकाज पर हंसने और व्यंग्य करने का काम एक कलाकार ही कर सकता है और यही काम बंसी कौल के रंगकर्म में रंग विदूषक के कलाकार विदूषक बनकर करते आ रहे हैं।हंसना भी एक प्रतिरोध है।हंसना रोने का विलोम नहीं है, हंसना टालने का भी प्रर्यायवाची नहीं है।हंसना भी मुकाबला करना है। भारतेन्दु ने रोने को ताकत बनाया था। उन्होंने कहा था,अकेले रोने से कुछ नहीं होगा। सामूहिक रोने से ही काम होगा। इसीलिए उन्होंने भारत दुर्दशा नाटक में कहा है, आओ हम सब मिल रोएं।’

स्मरण: बंसी कौल कार्यक्रम का संचालन करते हुए संस्था सचिव वरिष्ठ रंगकर्मी अनिल रंजन भौमिक ने उपस्थित रंगकर्मियों का स्वागत करते हुए बंसी कौल जी द्वारा समानान्तर व्याख्यानमाला ‘ मैं और मेरा रंगकर्म’ में उनके द्वारा दिए गए व्याख्यान के कुछ बहुत महत्वपूर्ण बातों का उल्लेख करते हुए कहा, ‘बंसी जी हमेशा कहा करते थे कि मेरा रंगकर्म सामूहिकता का रंगकर्म है।मेरे लिए यह महत्वपूर्ण नहीं है कि एक गांव में पांच सौ लोग मारे गए मेरे लिए महत्वपूर्ण यह है कि एक गांव में पांच सौ लोगों ने हंसना बंद कर दिया। बंसी दा को जीवन भर कश्मीर से विस्थापित होने का दंश झेलना पड़ा, इसीलिए उन्होंने अपने रंगकर्म को विदूषकों के माध्यम से हंसी हंसी में प्रतिरोध की ताकत बनाया।

संस्था अध्यक्ष प्रो अनीता गोपेश ने बहुत मन से बंसी जी के साथ समानान्तर समारोह में बिताए यादगार पलों को भारी मन से याद किया। उन्होंने कहा,बंसी कौल जी में एक बाल मन, एक निश्चल हंसी हमेशा उनके चेहरे में उपस्थित रहीं, भले ही उनका रंगकर्म प्रतिरोध का रंगकर्म रहा हो। वे सामूहिकता पर सदैव प्रमुखता देते रहे हैं साथ ही यह भी कहते रहे हैं कि रंगकर्म आपको रोज़गार नहीं दे सकता उसके लिए आपको कोई अन्य कार्य करना ही होगा।

प्रसिद्ध लोकनाट्यविद रंग निर्देशक अतुल यदुवंशी ने कहा,बंसी कौल जी सदैव लोक कलाकारों के हितों की बात को बहुत मुखरता से विभिन्न कमेटियों में उठाते रहे। वे एक कुशल कार्फ्ट मैन, एक कुशल डिजाइनर के साथ साथ बहुत महत्वपूर्ण लोक उत्सवों में लोक कलाकारों के मुखिया के रूप में सदैव प्रमुखता से रहे हैं। प्रसिद्ध अभिनेत्री एवं रंग निर्देशिका सुश्री सुषमा शर्मा ने अपनी बातचीत में कहा, बंसी कौल जी एक यायावर रंगकर्मी थे जिन्होंने पूरे भारत वर्ष के छोटे से छोटे शहरों में जाकर रंगकर्म का ककहरा युवाओं को सिखाया तथा उनमें रंगकर्म करने का जुनून पैदा किया ।प्रसिद्ध कवि एवं समानान्तर के उपाध्यक्ष डॉ बसंत त्रिपाठी ने कहा,बंसी कौल जी की प्रस्तुतियों ने हरकत कि भाषा को नया एवं विशुद्ध भारतीय रंग प्रदान किया।उनका विदूषक हंसते हंसाते बहुत गंभीर बात कहकर आपको सोचने के लिए बाध्य करता है।

बंसी कौल

प्रो. अली अहमद फातमी जी ने बंसी जी को याद करते हुए कहा, बंसी कौल जी की एक बात आज भी ज़ेहन में घर कर गई कि रंगमंच जब तक स्थानीय नहीं होगा तब तक वह राष्ट्रीय हो ही नहीं सकता।बंसी कौल को सुनना एवं उनके रंगकर्म को देखना एक सदी को विदूषकों के माध्यम से देखने जैसा है, जो आपको अंदर तक आंदोलित कर देता है। रंगमंच हमें एक अच्छा इन्सान बनाता है और बिना जुनून के रंगकर्म हो ही नहीं सकता।बंसी कौल यायावरी के साथ साथ रंगकर्म के प्रति जुनूनी भी थे। राकेश सिन्हा ने बंसी जी के साथ बिताए यादगार पलों एवं उनके अंतिम तीन दिनों के सानिध्य को बहुत भारी मन से याद किया।

इस अवसर पर रंगकर्मी सुश्री ऋतांधरा मिश्रा,सुश्री रितिका अवस्थी, श्रीमती अनीता त्रिपाठी,श्रीमती चित्रा भौमिक, नीरज उपाध्याय, सुश्री सुनीता थापा,विश्व ज्योति सहाय,अमोल विक्रम, पूर्ण प्रकाश ,सुश्री शालिनी कश्यप, सुश्री ममता प्रजापति तथा कहानीकार मनोज पाण्डेय, साहित्यकार अंशुमान, राकेश विश्वकर्मा, अरूप मित्रा, गोविंद सिंह, गोकर्ण सिंह, सुश्री सुनीता सचान, श्रीमती मीना राय,श्रीमती सुमन शर्मा एवं बहुत से युवा पीढ़ी के रंगकर्मी उपस्थित रहे।अंत में बंसी कौल और प्रसिद्ध रंग निर्देशिका श्रीमती उषा गांगुली जी के साथ साथ विगत दिनों नगर के दिवंगत रंगकर्मियों श्री विपिन टंडन, जस्टिस पलोक बसु, श्री कल्याण घोष,श्री अश्वनी अग्रवाल, श्रीअनुपमआनंद,श्रीमती शैलतनया श्रीवास्तव, श्रीमती पूजा ठाकुर के प्रति दो मिनट का मौन रखकर उन सभी को भी श्रद्धांजलि अर्पित किया गया।