आओ पढ़ें, सुनें और सुनाएं किस्से

आओ पढ़ें, सुनें और सुनाएं किस्से

सर्बानी शर्मा

बदलाव बाल क्लब की रौनक फिर लौट आई है। ग़ाज़ियाबाद के वैशाली सैक्टर-6 के मकान नंबर 205 में एक बार फिर बच्चे जुटने लगे हैं। 6 जून 2017, मंगलवार की शाम बदलाव बाल क्लब ने “आओ पढ़ें, सुनें और सुनाएं किस्से” नाम से एक कहानी वर्कशॉप शुरू की है। बदलाव और दस्तक की ओर से ये कहानी आधारित कार्यशाला 17 जून तक चलेगी। 18 जून को विनय तरुण की स्मृति में मुख्य कार्यक्रम जमशेदपुर में होगा। उसी दिन एक छोटा सा आयोजन बदलाव का गाजियाबाद में भी होगा। बच्चों के साथ बातें होंगी और उन्हें प्रमाण पत्र वितरित किए जाएंगे।

कहानी वर्कशॉप की रूपरेखा बहुत ही अनौपचारिक रखी गई है। कोशिश रहेगी कि ज्यादा से ज्यादा बच्चे इसमें शरीक हों। साथ ही वो अभिभावक भी इसमें शिरकत करें जो बच्चों के साथ कहानी पढ़ने और सुनने के शौकीन हैं। पहले दिन पशुपति शर्मा ने बच्चों को शिवप्रसाद सिंह की कहानी ‘दादी मां’ सुनाई। इस दौरान मैं (सर्बानी) और अभया श्रीवास्तवजी भी इस कार्यशाला में मौजूद रहीं। अभया जी ने उन ग्रामीण शब्दों के अर्थ बच्चों को संदर्भ के साथ समझाए, जिनसे उनका अब तक साबका नहीं पड़ा है। उन्होंने बताया कि ‘फसल’ के मायने ग्रामीण समाज में क्या होता है। कैसे एक फसल से दूसरी फसल तक की मियाद का जिक्र किया जाता है।

कहानी पढ़ने के साथ-साथ बच्चों से कठिन शब्दों पर बातें भी की गईं। उनके संस्मरण भी सुने गए और ये काफी रोचक अनुभव रहा। शिवप्रसाद सिंह की कहानी ‘दादी मां’ कक्षा-7  की पाठ्य पुस्तक ‘वसंत’ में संकलित की गई है। ये पुस्तक कार्यशाला में तन्मय लेकर आए और उन्होंने ही कहानी पाठ की शुरुआत भी की। कहानी पाठन 4-5 बच्चों के साथ शुरू हुआ लेकिन अंत होते-होते इसमें 11-12 बच्चे शामिल हो गए।

पहले दिन के आख़िरी लम्हों में बच्चों से उनकी दादी मां के बारे में कुछ बातें शेयर करने को कहा गया। चित्रांशी ने बताया कि उनकी दादी ग़ाजियाबाद में रहती हैं और वो अपनी दादी को काफी पसंद करती हैं। आरुषि ने कहा- मेरी दादी मेरा खयाल रखती है। जब बुखार होता है तो वो मेरे पास ही रहती हैं। दिव्यांश ने बताया- मेरी दादी अभी गांव में रहती है। दादी से फोन पर बात करता हूं। मुझे कोई मारे तो दादी उन्हें डांट लगाती है। कार्यशाला के सबसे नन्हे प्रतिभागी यश ने अपनी तोतली जुबान में कहा- मेरी दादी मुझे प्यार करती है।

राघव ने बताया- मेरी दादी कहानी सुनाती थी और अब भी सुनाती है। पंशुल ने कहा- मेरी दादी धर्म को मानती है। मंदिर जाती है, पूजा करती है। खुशी ने कहा- मैं जब छोटी थी तो मेरी दादी मालिश किया करती थी। रिया ने कहा- मेरी दादी भुईली में रहती है। अभी उनकी तबीयत खराब है और मैं उनका खयाल रखती हूं। रिशा डे ने बताया- मेरी दादी खाना खिलाती है। मुझे कहानी सुनाती है। आयुष चमोली ने बताया- बुखार होता है तो मेरी दादी मुझे अस्पताल ले जाती है। उत्तराखंड के न्यू टिहरी के गांव में दादी रहती है। वहां बाघ, बंदर और बहुत से जानवर घर पर आ जाते हैं, लेकिन वो डरती नहीं।

तन्मय ने कहा- मेरी दादी उतना ही प्यार करती है, जितना मैं उन्हें करता हूं। लेकिन दादी सबसे ज़्यादा पापा को प्यार करती है। रिद्धिमा ने बताया- दादी का नाम विमला शर्मा है। वो पूर्णिया में रहती हैं। हमलोग दादी के पास सोते हैं। रात में पीहू, तन्मय-मिन्मय भैया और मुझे दादी कहानी सुनाती हैं। दादी को लेकर बच्चों के मन की बातें सुनना वाकई बेहद सुखद था। चेहरे पर अजीब सी खुशियां और भाव थे। कुछ बच्चों ने कहानी पाठ के दौरान अपनी नानी को भी याद किया।

कार्यशाला में बच्चों की दिलचस्पी के लिहाज से आने वाले दिनों में कुछ और मेहमानों को न्योता दिया जा सकता है। वुमनिया की संपादक प्रतिभा ज्योति ने बच्चों से कहानी लिखवाने का सुझाव दिया। वो एक दिन बच्चों के साथ बातें करने को भी इच्छुक हैं। बदलाव की कोशिश रहेगी कि वर्कशॉप के दौरान कुछ लेखकों के साथ भी बच्चों को रूबरू कराया जाए। इसके साथ ही कहानियों के कुछ सत्र खुले पार्क में भी रखे जाएंगे। प्रतिभागी बच्चों की एक कहानी प्रतियोगिता भी कराई जाएगी, जो उन्हें कार्यशाला के दौरान ही किसी दिन लिखनी होगी।


सर्बानी शर्मा। रायगंज, पश्चिम बंगाल में पली बढ़ी सर्बानी इन दिनों गाजियाबाद में रहती हैं। बीएनएमयू से एलएलबी की पढ़ाई। संगीत और रंगमंच में अभिरुचि।

One thought on “आओ पढ़ें, सुनें और सुनाएं किस्से

  1. बदलाव टीम के इस अद्भूत पहल का सभी को स्वागत करना चाहिए और प्रेरणा भी लेनी चाहिए। आज की यही छोटी पौध कल विशाल वट वृक्ष का आकार ले सकती है। लेकिन , ध्यान यह भी रहे कि कहानियां ऐसी हों जो इन बच्चों को खुद के दम पर आसमां छूने की चेतना इनके कोमल मस्तिष्क मे जगाए नकि उन्हे भाग्य और भगवान के भरोसे जीना सिखाए। बडा कठिन है यह सब करना । बधाई पूरी टीम को।

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