बच्चों में रचनात्मकता का बीज डालना ज़रूरी- रवींद्र त्रिपाठी

बच्चों में रचनात्मकता का बीज डालना ज़रूरी- रवींद्र त्रिपाठी

बदलाव प्रतिनिधि

बदलाव बाल क्लब की कहानी कार्यशाला जिस उत्साह के साथ शुरू हुई थी उसका समापन उतना ही मनमोहक रहा। गाज़ियाबाद के वैशाली सेक्टर 6 के मिलिंद अकादमी स्कूल में कार्यक्रम रखा गया। बच्चों के प्रदर्शन ने विशिष्ट अतिथि वरिष्ठ पत्रकार रवींद्र त्रिपाठी समेत हॉल में बैठे तमाम अतिथि और दर्शकों का मन मोह लिया। चालाक मेमने की कहानी का बच्चों ने जिस अंदाज में मंचन किया वो देखते ही बन रहा था। बिना किसी तामझाम के मिलिंद अकादमी के सभागार में सुबह 11 बजे कार्यक्रम शुरू हुआ तो दो घंटे कब बीत गए पता ही नहीं चला।

मंच के संचालन से लेकर कहानियों के मंचन तक सारी कमान बच्चों के हाथ में रही। तन्मय ने उद्घोषक की भूमिका निभाई तो वहीं पंशुल ने अपने हाव-भाव और कविता से सबका मन मोहा। ‘नानी का घर कहानी’ को बच्चों ने प्रस्तुति की शक्ल दे दी। वहीं ‘बावला-बावली’ की कहानी का मंचन पहली कक्षा के सक्षम यादव और पांचवी कक्षा की वंशिका ने बड़ी ही खूबसूरती से किया। ‘तीन लोग का टीपना’ कहानी को भी बच्चों ने बखूबी संप्रेषित किया। छोटी से उम्र में बच्चों को नाटक का मंचन हर कोई अपलक नेत्रों से देख रहा था। बच्चों ने फादर्स डे पर मन के भाव रखे, पहेलियां बुझाईं और कविताओं का पाठ भी किया।

टीवी और टैब की दुनिया से बिल्कुल दूर बच्चों के भीतर छिपी कला को देख वरिष्ठ पत्रकार रवींद्र त्रिपाठी काफी खुश नजर आए और उन्होंने बदलाव की इस मुहिम की सराहना की। रवींद्र त्रिपाठी ने कहा कि बच्चों में रचनात्मकता का बीज डालना बेहद जरूरी है। भागदौड़ भरी जिंदगी में जिस तरह मां-बाप बच्चों के लिए वक्त नहीं निकाल पा रहे हैं, इस पर भी रवींद्र त्रिपाठी ने चिंता जताई और कहा कि आज जरूरत है कि हम बच्चों को ज्यादा से ज्यादा वक्त दें जिससे उनकी रचनात्मकता में निखार आ सके। यही नहीं रवीद्र जी ने बच्चों से वादा किया है कि अगली बार जब भी बदलाव बाल क्लब की वर्कशॉप चलेगी, तो वो भी उसका हिस्सा बनेंगे और बच्चों को कहानियां सुनाएंगे।

कथा वाचन कार्यशाला के समापन कार्यक्रम में विशिष्ट अतिथि रवींद्र त्रिपाठी के साथ पत्रकार साथी।

वहीं कार्यशाला का हिस्सा रहे पत्रकार पीयूष बबेले ने कार्यशाला का अपना अनुभव साझा किया। पीयूष जी ने बताया कि जब वो कार्यशाला में बच्चों से मिले तो एक अलग ही अनुभव हुआ। क्योंकि जिस दौर में मां-बाप बच्चों से टीवी और टैब से दूर रहने के लिए जोर-आजमाइश करते हैं उस दौर में बच्चे खुद-ब-खुद बिना किसी दबाव के उससे दूर हो रहे हैं। पीयूष जी ने बच्चों में रचनात्मकता के विकास की कोशिश में जुटी टीम बदलाव और बदलाव बाल क्लब की मुहिम की सराहना भी की। गौतम मयंक और मधुकांत श्रोत्रिय ने भी बच्चों को कथा-वाचन के गुर बताए और अपनी सृजनात्मकता को निखारने का मंत्र दिया। वैशाली सेक्टर-6 के RWA अध्यक्ष दर्शन लाल चमोली ने लगातार दो साल से चल रही इस कोशिश की सराहना की और पूरी मदद का वादा किया।

कार्यक्रम के आखिर में विशिष्ठ अतिथि रवीद्र त्रिपाठी ने बच्चों को एक-एक कर प्रमाण पत्र वितरित किया और बच्चों को उसे सहेजने की कला भी बताई । बच्चों में तन्मय, आयुष चमोली, पंशुल, राघव, आयुष कुमार, रिया, खुशी, रिद्धिमा, अर्चित, अंकुर, परी, ओमजी, सक्षम, वंशिका, रेवा बबेले, श्रेयन, समर्थ, आरुषि ने इस कहानी कार्यशाला में जो कुछ सीखा, उसका प्रदर्शन किया और फिर समोसे के साथ टाटा-बाय कर चल पड़े।