बच्चों के चेहरों पर देखे हमने पुस्तकों के ‘मंजर’

बच्चों के चेहरों पर देखे हमने पुस्तकों के ‘मंजर’

टीम बदलाव

पुस्तकों के बीच बच्चे और अभिभावक। पके हुए आमों को देखकर जो सुख होता है, उससे कहीं ज्यादा सुख मंजरों से लदे पेड़ों को देखकर होता है। उम्मीद की कोंपलें ऐसी ही डालियों पर लगा करती हैं। कुछ ऐसा ही मंजर मुजफ्फरपुर के पियर गांव में भी नज़र आया, जब बच्चों ने पुस्तकों से दोस्ती गांठने का संकल्प लिया।
बदलाव बाल पाठशाला, पियर में पाठशाला के बच्चों ने ‘ आओ ,करें पुस्तकों से दोस्ती विषय पर एक संगोष्ठी का आनंद लिया। इस संगोष्ठी मे पाठशाला के सभी 16 बच्चों समेत स्थानीय ग्रामीण  एवं समाजसेवी उपस्थित थे। 20 मई की दोपहर आयोजित इस संगोष्ठी का संचालन टीम बदलाव के युवा साथी, इलेक्ट्रानिक मीडिया दिल्ली के पत्रकार सुबोधकांत सिंह ने किया। उपस्थित लोगों में डाक्टर श्याम किशोर ,वाल्मीकि ठाकुर ,शत्रुघ्न प्रसाद ,राधेश्याम ठाकुर , श्यामनन्दन ठाकुर, चंदेश्वर प्रसाद वर्मा, उमाशंकर ठाकुर, लखेन्द्र ठाकुर, उमाशंकर ठाकुर, इन्द्रदेव ठाकुर, रामकुमार ठाकुर, वेदानन्द ठाकुर, बिन्देश्वर राय ( स्वयंसेवी शिक्षक ) ,रामकिशोर ठाकुर शामिल थे।
गोष्ठी का प्रारम्भ आगंतुकों को अपने परिचय  देने के साथ बच्चों ने किया। बदलाव पाठशाला के मुजफ्फरपुर जिला संयोजक ब्रह्मानन्द ठाकुर ने बच्चो को  पुस्तकों का महत्व बताते हुए कहा कि पुस्तकें हमारी सच्चे दोस्त हैं। इनसे हमें अपने जीवन को संवारने मे बड़ी मदद मिलती है। पुस्तकें हमारा केवल मनोरंजन ही नहीं करतीं, हमें  ज्ञान भी देती हैं।  बच्चे यदि बचपन में ही पुस्तक पढने की आदत  बना लें तो वे इससे बहुत कुछ सीख सकते हैं।
स्थानीय समाचर पत्रों में चर्चा

बालपुस्तकालय में साहित्य ,कला  ज्ञान – विज्ञान ,कविता कहानी और नाटक की बालोपयोगी पुस्तकों की उपलब्धता की चर्चा करते हुए उन्होंने गोष्ठी में शामिल अभिभावकों को जानकारी दी कि इस साल 26  जनवरी को बाल पुस्तकालय की स्थापना की गई। शिक्षा प्रेमियों ,लेखकों ,कवियों द्वारा पुस्तकें नि:शुल्क उपलब्ध कराई गयी। इसके बाद  यूएसए मे कार्रयरत  भारतीय मूल के युवा इंजीनियर प्रेम पियूष नेअमेजन से कुछ किताबें भेजीं। प्रेम पियुष के आग्रह पर पुस्तकालय में एक नया सेक्शन शुरू किया गया-रेणुका बाला घोष ( मीनू ) पुस्तकालय। आज इस पुस्तकालय मे बालोपयोगी पुस्तकों की संख्या 250  से ऊपर हो चुकी है।

पाठशाला के बच्चों ने संगोष्ठी में कविता, पहेली और चुटकुला सुनाया। डाक्टर श्याम किशोर ने बच्चों के साथ, हम होंगे कामयाब एक दिन का संवेदगान प्रस्तुत किया। इसके बाद उन्होंने सरल और सुबोध तरीके से बच्चों को प्राकृतिक आपदा के समय सावधानी बरतने के बारे में बताया। डॉक्टर श्याम किशोर ने प्रत्येक रविवार को पाठशाला के बच्चों के बीच दो घंटे गुजारने का इरादा कर लिया।
इस गोष्ठी के दौरान बच्चे काफी उत्साहित थे। बदलाव  पाठशाला की शुरुआत महात्मा गांधी की जयंती 2 अक्टूबर 2017 को अपेक्षित किंतु उपेक्षित 8 बच्चों के साथ की गई थी। आज बच्चों की संख्या 16 हो गई है। मुजफ्फरपुर के युवा समाजसेवी किसलय कुमार ने पाठशाला के बच्चों को यूनिफार्म के लिए 5 हजार रूपये की राशि उपलब्ध कराई। इसमें अतिरिक्त राशि की व्यवस्था संयोजक द्वारा की गयी। बच्चे आज उसी यूनीफार्म थे। बच्चों में आ रहे सकारात्मक बदलाव को देखकर उपस्थित लोगोंl ने टीम बदलाव के इस प्रयास की काफी सराहना की।


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