अवाम का सिनेमा के 10 साल, आप चलेंगे न अयोध्या

अवाम का सिनेमा के 10 साल, आप चलेंगे न अयोध्या

awam-ka-cinema-1न आसमां से गिरा है और न ही पाताल से निकला है
यह अवाम का सिनेमा है और अवाम से ही निकला है

अद्भुत संयोग बना है। ऐसा कम ही होता है। एक तरफ देश के लिए मर-मिटने वाले गुप्त क्रांतिकारी संस्था मातृवेदी के 100 बरस पूरे हो चुके हैं। वहीं अवाम का सिनेमा अपने 10 बरस पूरे कर चुका है। शहादत को याद करने और उन्हें श्रद्धांजलि देने के लिए अयोध्या में 16 से 19 दिसंबर तक भारी जुटान होने वाली है। शाह आलम और उनके साथियों की टीम इस कार्यक्रम की रूपरेखा को अंतिम रूप देने में जुटे हैं। मेहमानों को फोन कर सहमति ली जा रही है। फेसबुक और सोशल मीडिया के अलग-अलग प्लेटफॉर्म्स के जरिए अयोध्या चलो का नारा बुलंद किया जा रहा है।

shah-alam-profileशाह आलम और साथियों ने जिस सांस्कृतिक उद्वेलन की शुरुआत आज से दस साल पहले की थी, उसकी गर्मजोशी आज भी कायम है। ऊर्जावान साथियों की यही तपिश है कि दिसंबर महीने की ठंड में भी इनके उत्साह में जरा भी कमी नहीं आई है। कोहरे और ठंड के डबल अटैक के बीच कदम-दर कदम ये टीम अयोध्या में चार दिन के आयोजन की तरफ बढ़ रही है। आवाम का सिनेमा के आयोजन की खूबसूरती ये है कि पूरा कार्यक्रम जन सहयोग के बूते ही किया जाता है।  लोगों की ओर से कार्यक्रम के लिए जबरदस्त वित्तीय मदद मिल रही है। लगता है जनसहयोग की एक मुहिम चल पड़ी है। मुंबई से अभिनेता पंकज त्रिपाठी के बाद अब अभिनेता गौरीशंकर ने अवाम के सिनेमा और 10वें अयोध्या फिल्म महोत्सव के लिए शुभकामनाएं भेजी हैं। इन सभी साथियों की ऊर्जा ने टीम बदलाव को भी संवाद की सतत प्रक्रिया से अपने साथ जोड़ लिया है। हमारी कोशिश यही रहेगी कि इस पूरी गतिविधि और हलचल से आपको रूबरू कराते रहें।  

पत्रिका डॉट कॉम ने इस कार्यक्रम पर टिप्पणी करते हुए लिखा है- जिस दौर में हमारे लोकतंत्र को जीवन देने वाली संसद और विधानसभाओं से लेकर मीडिया तक के सारे पायदान अपने सरोकारों की सर माएदारी पर उतर चुके हैं। उसमें जनता की सांस्कृतिक गोलबंदी ही एक ऐसा रास्ता है। जो इन संस्थआओं को उनकी जिम्मेदारी का एहसास करा सकता है। और उसे पूरा करने पर मजबूर कर सकता है। इसके लिए सबसे जरूरी पहल यह होगी कि जनसरोकारों के प्रति लोगों के बीच संवाद कायम किया जाए। अवाम का सिनेमा इसी दिशा में एक कोशिश है।