ये सुनने में काफी अच्छा लगता है कि हिंदुस्तान अब न्यू इंडिया बन रहा है । कम से कम मौजूदा
Author: badalav
‘कमल’ पर आसीन ‘मलिन मणि’ का क्या करोगे ‘साहब’
उर्मिलेश भारतीय जनता पार्टी में एक नहीं, अनेक ‘अय्यर’ हैं, उनसे ज्यादा अमर्यादित और असयंमित शब्द निकालने वाले! उन्हें अपशब्दों
‘भोजपुरी दर्शकों की सोच को समझने की ज़रूरत’
धनंजय कुमार भोजपुरी फ़िल्मों के दर्शक पूरे बिहार, झारखंड और पूर्वी उत्तर प्रदेश में तो हैं ही, मुम्बई से लेकर
मीडिया से गांव गायब बताना आंचलिक पत्रकारिता की अनदेखी है
शिरीष खरे क्या मीडिया से गांव गायब हो गए हैं? जवाब है- हां। यदि कोई एक जगह से एक जगह
‘खिड़की’ से झांकता लेखक और वो लड़की
संगम पांडेय विकास बाहरी के नाटक ‘खिड़की’ में कथानक के भीतर घुसकर उसकी पर्तें बनाने और खोलने की एक युक्ति
गुजरात में गांधी के मायने समझने की एक कोशिश
धीरेंद्र पुंडीर गुजरात में दांडी यात्रा के बाद दिल्ली के रास्ते में आते वक्त सोच रहा था कि दांडी यात्रा
महोबा में खुले आसमान के नीचे संवरता देश का भविष्य
आशीष सागर यूपी के बुंदेलखंड का नाम नाम आते ही हर किसी के जेहन में भुखमरी, बेरोजगारी, बदहाल किसान और
20 हज़ार के लिए 10 साल के मासूम का क़त्ल
सूर्यमणि राजधानी दिल्ली और उसके आसपास हत्या और रेप की दिल दहलादेने वाली ख़बरें आम बात है, लेकिन जब ऐसी
बदलाव पाठशाला : नौनिहालों में जगाती शिक्षा की अलख
टीम बदलाव गांव और निचले तबके का विकास राष्ट्रपिता महात्मा गांधी की प्राथमिकताओं में हमेशा सबसे ऊपर रहा। लिहाजा बापू
गुजरात की सियासी पिच पर जिग्नेश की ‘जमात’ पारी
शिरीष खरे जिग्नेश के रहने का अंदाज और पहनावा उन्हें मुख्यधारा के नेताओं से अलग करता है। उनकी जिंदगी के