विभावरी फिल्म थी 1978 में बनी मुज़फ्फर अली की ‘गमन’| रोजगार की तलाश में शहरों की ओर पलायन करती युवा
Author: badalav
वाराणसी हादसा- ‘गुरुमंत्र’ को क्यों नहीं माना
कुमार सर्वेश बाबा जय गुरुदेव ने कभी कहा था कि हमारे काम से किसी आम आदमी को परेशानी नहीं होनी
पाटलिपुत्र में प्लेटफॉर्म पर संवरता बचपन
दिलीप कुमार पांडे रेलवे स्टेशन पर अमूमन यात्रियों की भागदौड़, कुलियों की आवाज़ और ट्रेन के शोरगुल के सिवाय शायद ही कुछ
भोपाल में मिल रहे हैं माखनलाल के पुराने मीत
माखनलाल चतुर्वेदी राष्ट्रीय पत्रकारिता एवं संचार विश्वविद्यालय अपने रजत जयंती वर्ष के उपलक्ष्य में बृहद स्तर पर पूर्व विद्यार्थी सम्मेलन
‘झिझिया’ से इतनी झिझक क्यों भाई !
पुष्य मित्र अगर हमें अपनी संस्कृति और लोक परंपराओं को जीवित रखना है तो उसे सिर्फ दिल में सहेजने भर
भरत मिलाप, मेला और हमारा बचपन
मृदुला शुक्ला बचपन में दशहरे पर नए कपड़े मिलने का दुर्लभ अवसर आता था । हम सारे भाई बहन नए
मन की गति से उड़ता था रावण का ‘पुष्पक विमान’
कीर्ति दीक्षित विजयादशमी है, प्रत्येक वर्ष रावण के तमाम गुणों अवगुणों की बातें होती हैं, कोई उसके ज्ञान की बात
‘एसिड वाली लड़की’ ने कुछ कहा है, तुमने पढ़ा क्या?
सत्येंद्र कुमार यादव 7 अक्टूबर 2016 की वो शाम, ‘एसिड वाली लड़की’ को देखा, सुना और उनके दर्द को महसूस
रामलीला में मंच से पहले ‘मारीच वध’ क्यों?
शंभु झा जब जिंदगी दिल्ली नहीं थी, तब की बात है । तब रामलीला देखने का बड़ा उत्साह रहता था।
अपना ‘रोशन’ क्या किसी ‘बाज बहादुर’ से कम है ?
सच्चिदानंद जोशी कुछ दिन पहले मांडू जाना हुआ। यात्रा के अंतिम पड़ाव में हम प्रसिद्द दिल्ली दरवाजे पर रुके, क्योंकि