पीयूष बबेले 90 के दशक का वह दौर जब एक बच्चे ने दलितों की जिजीविषा को राजनैतिक आंदोलन का रूप
Author: badalav
सपना एक लड़की का
रेणु ओहरी हर लड़की का होता है इक सपना बसाएगी सुंदर सा संसार अपना जब आएगा इक
गंगा के दियारे में अफीम की खेती का सच क्या है?
मोहन मंगलम कुछ साल पहले राजेन्द्र कृषि विश्वविद्यालय के वैज्ञानिकों की टीम ने गंगा दियारे का दौरा कर दियारे की
फकीरा खड़ा बाज़ार में…मांग रहा है वोट
राकेश कायस्थ मांगना अच्छा है या बुरा? यह निर्भर इस बात पर है कि मांगा क्या जा रहा है। उदाहरण
काश ! एक माइक जनता की तरफ भी होता…
आशीष सागर दीक्षित (फेसबुक वॉल से) ” तुम बतलाते रहे अपने काम के नजराने इस कदर अखिलेश, कि एक हम
क़ातिलों देख लो जिंदा हैं कॉमरेड नागेन्द्र!
18 फरवरी 1994 को मेजर नागेन्द्र प्रसाद की आतताईयों ने हत्या कर दी थी। तब मैं आईपीएफ बोकारो जिला का
देश के टॉप 10 गांव
देश में पिछले कुछ दिनों से आदर्श गांव गोद लेने की ख़बरें खूब सुर्खियों में रहीं, लेकिन पिछले एक बरस
‘फिर आएगा वसंत’ एक अनूठा कविता संग्रह
शहंशाह आलम बच्चे जनने में मुटा गई है, मेरी छोटी-पतली कमर । काजल मेरे गालों पर बहता है,काले आँसुओं की
मूक बधिर अभिनेता और मंच का नैसर्गिक आकर्षण
संगम पांडेय अपनी निःशब्द प्रस्तुति ‘लव योर नेचर’ में निर्देशक युमनाम सदानंद सिंह ने मंच पर एक छोटा-मोटा जंगल ही
विकास की आपाधापी में दम तोड़ती नैतिकता
ब्रह्मानंद ठाकुर आज हमारा गांव विकास के इस आपाधापी में अतीत के तमाम उच्च नैतिक मानदंडों को बड़ी तेजी से