पंखुरी सिन्हा चिड़ियों को नहीं भेजने होते कबूतरों के गुलाबी पैरों में बाँध कर निमंत्रण पत्र केवल पेड़ लगा देने
Author: badalav
कल का लम्पट सामंत कहीं आज का सम्मानित वीसी तो नहीं?
संदीप सिंह फ़िल्म का पहला दृश्य उत्तर भारत के सामंती गाँवों के धूल-धुसरित रास्तों पर स्मृति की दूधिया स्याही से
दुनिया को क्या पैगाम देगी राम की नगरी ?
ब्रह्मानंद ठाकुर पिछले तीन सालों में देश में नये मुद्दे पैदा करने की परम्परा का बड़ी तेजी से विकास होता
देश के लिए देख लीजिए ‘अनारकली ऑफ आरा’
पशुपति शर्मा आज जब सब कुछ देश के लिए ही हो रहा है तो फिर अनारकली एक कप चाय देश
पूर्णिया के रुपौली में डायन बता कर मार डाला!
पुष्यमित्र मैं यह शब्द इस्तेमाल नहीं करना चाहता था, मगर मजबूरी में करना पड़ा कि हमारे गंवाई समाज की जहालत
अंग-अंग में बोल गया फागुन
संजय पंकज बोल गया फागुन अंग अंग में जाने कैसा रस घोल गया फागुन ! रंग नयन में गंध सांस
उनकी ‘सज्जनता’ की परतों में छिपे हैं स्त्री के कई ज़ख़्म
वर्षा निगम पिछले दिनों मेरी मुलाकात एक सज्जन से हुई। सज्जन, इतने सज्जन की क्या कहूं। मुझे लगता है कि
अपनी बात क्या खूब कहती है- अनारकली ऑफ आरावाली
सजल कुमार अनारकली ऑफ आरा! मैं सुन रहा हूँ, कई लोगों को कहते हुए कि आरा एक मनगढ़ंत जगह का
दोस्ती का धागा
रेणु ओहरी रेशम की डोरी है प्रेम का है धागा बड़ा ही नरम गरम ये दोस्ती का नाता रिश्तों की
बिना किसी खर्च बनाएं कंपोस्ट और बढ़ाएं पैदावार
इफको के फेसबुक वॉल से रासायनिक उर्वरकों के इस्तेमाल से खेतों में पैदावार जरूर बढ़ती है लेकिन जमीन की उर्वरा