पूर्णिया में ‘गोकुल का छोरा, बरसाने की नार’

पूर्णिया में ‘गोकुल का छोरा, बरसाने की नार’

डॉ शंभु लाल वर्मा ‘कुशाग्र’

“एक डाल दो पाच्छी है बैठा कौन गुरु कौन चेला/ गुरु की करनी गुरु भरेगा चेला की करनी चेला /उड़ जा हंस अकेला” – कबीर के इस निर्गुण जीवन दर्शन के हृदय-स्पर्शी भाव से सराबोर हो गये पूर्णिया के संगीत प्रेमी। अवसर था सुप्रसिद्ध गायक पं. भुवनेश कोमकली के गायन का, जिसमें उनका भरपूर साथ दे रहे थे दक्ष तबला वादक पं. मिथिलेश झा व विलक्षण युवा हारमोनियम वादक पं. अभिनय रवांडे। कार्यक्रम स्पीक मैके, पूर्णिया चैप्टर द्वारा स्थानीय विद्या विहार आवासीय विद्यालय में आयोजित किया गया।

स्पीक मैके एक अंतर्राष्ट्रीय ख्यातिप्राप्त भारतीय संस्था है, जो भारतीय शास्त्रीय संगीत व संस्कृति को युवा वर्ग में लोकप्रिय बनाने के उद्देश्य से शिक्षण संस्थानों में कार्यक्रम करवाया करती है। कार्यक्रम की शुरुआत पारंपरिक द्वीप-प्रज्ज्वलन से हुआ, जिसमें तीनों कलाकारों के अलावा स्पीकमैके पूर्णिया के अध्यक्ष रमेश चंद्र अग्रवाल, उपाध्यक्ष विजय नन्दन प्रसाद व सचिव स्वरुप दास, तथा विद्या विहार आवासीय विद्यालय के उप निदेशक रंजीत पाॅल, सचिव रमेश मिश्रा, प्राचार्य निशिकांत दासगुरु और वि. वि. आई. टी. के सचिव राजेश मिश्रा आदि शामिल थे। इसके बाद विद्यालय के छात्रों – आर्यन, फहद नूर एवं शिशिर आनंद – ने आगंतुक कलाकारों का परिचय दिया।

संगीत कार्यक्रम की शुरूआत राग मुल्तानी से हुई; बंदिश थी “गोकुल गांव का छोरा, बरसाने की नार, इन दोनों ने मन मोह लियो।” इस अत्यंत ही पुरानी बंदिश के बाद इसी राग में दूसरी बंदिश थी – दिल बेकरार, अबतक ना आयो/मोहे डर लाग्यो।” इन बंदिशों के बाद उन्होंने संगीत के बारे में उपस्थित विद्यार्थियों से संवाद स्थापित किया। तत़्पश्चात अपने पितामह संगीत क्षेत्र में लिजेंड बन चुके कुमार गंधर्व की शाम पर रचित एक बंदिश – “देखो रे उत खिलन लगे/मेरो मन भायो” राग श्री कल्याण में प्रस्तुत कर सुधी श्रोताओं का मन मोह लिया।

इसके बाद स्पीकमैके की परंपरा के अनुरूप उन्होंने एक बार फिर उपस्थित युवाओं से संगीत पर बातचीत की। अंत में कुमार गंधर्व द्वारा गाए गए कबीर के सुप्रसिद्ध भजन – “उड़ जा हंस अकेला” को प्रस्तुत कर विचारों के समंदर में उतराने को मजबूर कर दिया। कार्यक्रम के अंत में कलाकारों को सम्मानित किया गया। इस दुर्लभ गायकी के गवाह बने बड़ी संख्या में छात्र-छात्राएं, शिक्षक एवं शहर के संगीत-प्रेमी, जिनमें गिरिजानंद सिंह, बिहारी बाबू, अमर नाथ झा, लालू और गिरीन्द्र नाथ।


डॉ शंभु लाल वर्मा ‘कुशाग्र’ । बी एन मंडल यूनिवर्सिटी में अंग्रेजी के एसोसिएट प्रोफेसर। बीएन कॉलेज, पटना से उच्च शिक्षा। बिहार शरीफ के मूल निवासी। इन दिनों पूर्णिया में निवास। कविता, साहित्य समीक्षा और रंगकर्म के सैद्धांतिक और व्याव्हारिक पक्ष पर समान दखल।