आत्मवंचना

आत्मवंचना

अखिलेश्वर पांडेय

शाबासी की सीढ़ीयां चढ़ते हुए
पहुंच गया हूं उस मुकाम पर
जहां से सिर्फ भीड़ दिख रही
आंखें पारदर्शी हो गयी हैं
होठ चुप हैं
कानों में ‘स्व’ गूंज रहा

ढोल-नगाड़े, बांसुरी
सबकी धुनें बेसुरी लग रही 
लय तलाश रहा हूं 
थमी-सहमी
सरगमी फिजाओं में…


अखिलेश्वर पांडेय। माखनलाल चतुर्वेदी पत्रकारिता विश्वविद्यालय के पूर्व छात्र। मेरठ में शुरुआती पत्रकारिता के बाद लंबे वक्त से जमशेदपुर, प्रभात खबर में वरिष्ठ संपादकीय पद पर कार्यरत।