बापू के हत्यारों की सोच आज भी जिंदा है !

बापू के हत्यारों की सोच आज भी जिंदा है !

फाइल फोटो

अजीत अंजुम

इस देश में बहुत बड़ी जमात ऐसी है, जिन्हें गांधी के हत्यारों में अपना आदर्श नजर आता है । उन्हें कठघरे में बैठे गांधी के इन हत्यारों से सहानुभूति होती है, गांधी से नहीं। गांधी की हत्या के बाद हंसते-मुस्कुराते इन चेहरों पर उन्हें नाज है, देश को आजादी दिलाने वाले फकीर गांधी पर नहीं। उन्हें गांधी में विलन और गोडसे में हीरो दिखता है। कातिल में देशभक्ति दिखती है। ये जमात तब भी थी, ये जमात अब भी है। आबादी के हिसाब से इस जमात की तादाद में इजाफा हुआ है तो कोई आश्चर्य नहीं। आप गूगल पर सर्च करिए। यूट्यूब देखिए, ऐसे हजारों लोग मिलेंगे, जो गांधी के हत्यारों को आदर्श मानते हैं। गोडसे को देशभक्त मानते हैं। गांधी की हत्या के बाद नाथूराम गोडसे ने खुद भी तो कहा ही था कि यदि देशभक्ति पाप है तो मैं मानता हूं कि मैंने पाप किया है। गांधी की हत्या को सही ठहराने वाली जमात तब भी थी, अब भी है। ऐसी जमात सोशल मीडिया में भीड़ की तरह है। जब ये गांधी को नहीं छोड़ते तो नेहरु क्या चीज हैं।
देश में बड़ी जमात ऐसी है जो गांधी की हत्या को वध मानती है। जिस गांधी का लोहा दुनिया ने माना, जिस गांधी पर सैकड़ों किताबें, हजारों लेख लिखे गए। जिस गांधी के लिए आइंस्टीन ने लिखा था, ‘आने वाली नस्लें शायद मुश्किल से ही विश्वास करेंगी कि हाड़-मांस से बना हुआ कोई ऐसा व्यक्ति भी धरती पर चलता-फिरता था’ , जिस गांधी के सामने अंग्रेजों को घुटने टेकने पड़े, उस गांधी की हत्या को वध कहने वालों की मानसिकता समझी जा सकती है। मैं तो एक बार दंग रह गया था, जब बीजेपी नेता के मुंह से गांधी की हत्या की जगह गांधी का वध सुना था।
ये बात 2014 के शुरुआती महीनों की है। लोकसभा चुनाव के ऐलान के बाद हर रोज टीवी चैनलों पर तीखी सियासी बहसें हो रही थी। मैं उन दिनों ‘न्यूज 24’ का मैनेजिंग एडिटर था और ‘सबसे बड़ा सवाल’ डिबेट शो की एंकरिंग करता था। एक दिन पटेल-नेहरु विवाद पर बहस हो रही थी। हमारे साथ कई दलों के नेता थे।

बीजेपी और कांग्रेस नेता पटेल पर अपनी दावेदारी जता रहे थे। तभी बहस के दौरान बीजेपी के एक प्रखर प्रवक्ता ने कहा कि जब गांधी का वध हुआ था तब पटेल ने जो भी लिखा या कहा था… बीजेपी नेता आगे कुछ कहते, उससे पहले ही मैंने उन्हें टोका – ‘ आप गांधी की शहादत या हत्या को गांधी वध कैसे कह रहे हैं ? वध शब्द तो रावण, कंस या फिर आसुरी शक्तियों के लिए इस्तेमाल होता है । गांधी के लिए कैसे आप वध का इस्तेमाल कर रहे हैं ? ‘ बहस के दौरान ताव में गांधी वध बोल गए बीजेपी के प्रवक्ता को लगा कि अब फंस गए। मैंने उनसे कहा कि आप तो गोपाल गोडसे की भाषा का इस्तेमाल कर रहे हैं। गोपाल गोडसे ने ही गांधी की हत्या को सही ठहराते हुए गांधी वध क्यों नाम से किताब भी लिखी है ? उन्हें कुछ समझ में नहीं आ रहा था कि क्या जवाब दें। कुछ ऐसा दिखावा करने लगे कि मेरी आवाज उन तक नहीं पहुंच रही है। मजबूरन मुझे ये सोचते हुए ब्रेक पर जाना पड़ा कि तब तक ऑडियो ठीक हो जाएगा । हालांकि मुझे अहसास हो गया था कि ब्रेक के बाद वो पलटी मारकर कुछ नई बात कहेंगे। वही हुआ। चार -पांच मिनट के ब्रेक में उन्होंने सोच लिया था कि अपने कहे का रफू कैसे करना है। ओबी लाइन पर वो सामने बैठे किसी -किसी से फोन पर बात करते हुए दिख भी रहे थे। ब्रेक के बाद मैंने बात वहीं से शुरु की कि आप गांधी की हत्या को गांधी वध मानते हैं ? अब उन्होंने तेजी से गियर चेंज किया और बोले कुछ लोग ऐसा बोलते हैं लेकिन हम सब मानते हैं कि गांधी की हत्या एक धब्बा , कलंक है .. उसके बाद उन्हें उनके पिछले बयान पर ले जाने की मेरी सारी कोशिशें नाकाम हुई। उन्होंने ‘वध’ शब्द को इतनी चालाकी से निगल लिया कि दोबारा मानने को तैयार ही नहीं हुए कि ये शब्द उनकी जुबान से अपने शब्द के तौर पर निकले थे, दूसरों को समर्पित करते हुए नहीं। ये अलग बात बात कि सब कैमरे पर था । रिकार्ड था । डिबेट के बाद उनका फोन आया कि अरे महाराज, आज तो आपने फंसा ही दिया था। मैं बाल-बाल बचा । उन्होंने ये भी बताया कि ब्रेक के दौरान कई लोगों के मैसेज आ गए थे कि गांधी वध वाली चूक को जल्दी सुधारो और उन्होंने सुधार लिया । फिर उन्होंने कबूल भी किया कि उनकी संगति और परिवेश ने उनके जेहन गांधी वध ही बैठा रखा है।

बीजेपी के जिस नेता की बात कर रहा हूं, वो मेरे मित्र हैं। अब भी अक्सर उनसे जहां -तहां बात मुलाकात होती रहती है। उन्हें देखते ही मुझे गांधी वध वाला उनका बयान याद आता है और उन्हें मुझे देखते ही अपना बचना याद आता है । कई मुलाकातों में हम उस डिबेट का जिक्र करते रहे । उन्होंने ये भी माना था कि हम लोग बचपन से जिस जमात में रहे, वहां गाधी वध इतनी बार सुना कि दिमाग में जम गया। हालांकि मैं आज भी मानता हूं कि निजी तौर पर वो बहुत जहीन आदमी हैं। समझदार और पढ़े लिखे हैं। मैं उनका नाम तो नहीं लूंगा लेकिन कहने का आशय सिर्फ ये है कि जिन्हें हम बहुत संजीदा मानते हैं, उनके दिमाग में भी कभी भरा यही गया था कि गांधी का वध हुआ था। जबकि नाथूराम गोडसे गांधी का हत्यारा था । गांधी की हत्या के जुर्म में उसे और उसके साथी नारायण आप्टे को फांसी मिली । इस हत्याकांड में शामिल गोपाल गोडसे, मदनलाल पाहवा और विष्णु करकरे को आजीवन कारावास की सजा मिली। सजा काटने के बाद जेल से छूटकर आए नाथूराम गोडसे के भाई गोपाल गोडसे ने गांधी की हत्या को सही ठहराते हुए किताब लिखी – ‘ गांधी वध क्यों ‘ इस देश में बहुत से ऐसे लोग होंगे जो गोपाल गोडसे की तरह ही सोचते होंगे। गांधी की बजाय नाथूराम गोडसे को अपना आदर्श मानते होंगे ।


10570352_972098456134317_864997504139333871_nअजीत अंजुम। बिहार के बेगुसराय जिले के निवासी। पत्रकारिता जगत में अपने अल्हड़, फक्कड़ मिजाजी के साथ बड़े मीडिया हाउसेज के महारथी। बीएजी फिल्म के साथ लंबा नाता। स्टार न्यूज़ के लिए सनसनी और पोलखोल जैसे कार्यक्रमों के सूत्रधार। आज तक में छोटी सी पारी के बाद न्यूज़ 24 लॉन्च करने का श्रेय। इंडिया टीवी के पूर्व मैनेजिंग एडिटर।