फल और सब्ज़ियों के दोस्ती की कहानी

फल और सब्ज़ियों के दोस्ती की कहानी

चित्रलेखा अग्रवाल

एक समय था जब फल और सब्जियां अलग अलग रहते थे। दोनों में दोस्ती कायम करने में चेरी और शिमला मिर्च का बहुत बड़ा योगदान है। कैसे? जानने के लिए सुनते हैं यह कहानी।
बहुत समय पहले धरती पर टमाटर के रस की नदी बहा करती थी। नदी के इस तरफ था फ्रूट किंगडम यानि फलों का साम्राज्य और दूसरी तरफ था वेजीटेबल किंगडम यानि सब्जि़यों का साम्राज्य।
फ्रूट किंगडम के राजा थे, महामहिम आम और महारानी थी चेरी। दोनों की जोड़ी एक और शून्य की जोड़ी थी, अलग किस्म की, अजीब जोड़ी, लेकिन बेजोड़। फ्रूट किंगडम का शानदार क्यूकम्बर पैलेस, खीरे से बना था। उसमें केले के खम्बे थे और लाल बेर जड़ित खीरे की दीवारें। महाराजा आम जब तरबूज़ की शानदार अंगूर जड़ी, लाल बग्घी में बैठकर प्रजा के बीच आते थे तो सेब, खुबानी, चीकू, केले और बाकी सारी फलों की प्रजा उनका शानदार स्वागत करती थीं।
नदी के दूसरी तरफ वेजीटेबल किंगडम के महाराजाधिराज थे बैंगन राजा और उनकी महारानी थीं, शिमला मिर्च। इनका महल भिंडी से निर्मित था जिसमें पत्ता गोभी के बड़े-बड़े पर्दे और फूलगोभी के झूमर लटके रहते थे। महाराजा की शाही सवारी कद्दू में मटर की नक्काशी करके बनाई गई थी। महल के दोनों ओर गाजर सिपाही तैनात रहते थे।

दोनों अमीर राज्य थे, खुशहाल, खूबसूरत, सुखी और अपने में मगन। बस नदी की सीमा लांघकर कभी किसी ने दूसरे राज्य में जाने की कोशिश नहीं की। पर नारी मन को क्या कहा जाए। एक बार महारानी चेरी जब टमाटर नदी किनारे शहतूत के बागों में घुम रहीं थी अचानक उनकी नज़र नदी के पार सेम की बेलों पर पड़ गई। रानी का मन वेजीटेबल किंगडम की सैर को मचल गया। तुरंत खीरा महल पहुंची और महाराज आम से मन की बात बताई।

महाराजा आम ने उनसे कहा कि सदियां बीत गई, कभी भी हमारे पूर्वजों ने उस तरफ जाने की कोशिश नहीं की। हम अलग हैं और वो सब्जि़यां अलग, हम आपको वहां जाने की इजाज़त नहीं दे सकते। रानी चेरी नहीं मानी, रूठ कर बैठ गईं।
हारकर राजा आम ने उन्हें बुलाया और कहा कि अगर आप वहां जाना चाहती हैं तो जाएं, लेकिन हम कभी उस तरफ नहीं गए हैं और ना ही जानते हैं कि वहां के निवासी कैसे हैं। अगर आपको आते देख उन्होंने आप पर हमला कर दिया तो। इस पर रानी चेरी बोली कि हम वहां दोस्ती का पैगाम लेकर जाएंगे। उनको भी यहां आने के लिए आमंत्रित करेंगे और फलों और सब्जियों के बीच की यह दूरी हमेशा के लिए खत्म कर देंगे।
राजा आम को यह विचार पसंद आया, लेकिन फिर भी उन्होंने एहतियात बरतने को कहा। रानी से कहा कि हम आपको पूरी तैयारी के साथ वहां भेजेंगे, ताकि अगर वो आपसे मित्रवत् व्यवहार ना करें तो आप उन्हें जवाब दे सकें।

तैयारियां शुरू हुईं। रानी के लिए अन्नानास का शानदार जहाज बनाया गया, जिसके चारों तरफ हरे कांटों का रक्षाकवच था। रानी को टमाटर नदी सुरक्षित पार कराकर वेजीटेबल किंगडम पहुंचाने की जिम्मेदारी सेनापति अमरूद को दी गईं। सेनापति अमरूद ने अन्य सब्जियों के लिए खीरे की नावें बनवाईं। सबसे पहले इन नावों में नारियल सेना को उतारा गया। नारियल सेना के पीछे संतरों की सेना चली। इसके बाद बीच में रानी का अन्नानास जहाज और दोनों तरफ अखरोट और खुबानियों भरी नावें चली।

नारियल सेना सब्जि़यों की तरफ से किसी भी तरह के आक्रमण को झेलने में सक्षम थी। संतरे की सेना का हथियार था खट्टा रस और उसके पीछे आ रहे आड़ू, खुबानी और अखरोट, बम के गोलों की तरह दुश्मनों को मार गिराने में सक्षम थे।
रानी का काफिला नदी पार करने चला। जैसे ही वेजीटेबल किंगडम की मिर्ची और नींबू सेना को गुप्तचर प्याज ने इसकी खबर दी कि दूसरी तरफ से दलबल के साथ महारानी चेरी इधर आ रही हैं, उन्होंने बैंगन राजा तक बात पहुंचाई। तुरंत बैंगन राजा ने आपात बैठक बुलाई। सारी सब्जियां चिंतिंत थी। जो आज तक नहीं हुआ, होने जा रहा था। फल राज्य से कोई उनके सब्जी राज्य आ रहा था। तब महारानी शिमला मिर्च ने सलाह दी कि महाराज चिंतित मत होईए। अपनी मिर्ची और नींबू सेना को तैयार रखिए। भुट्टे मिसाइल भी मंगवा लीजिए, लेकिन तुरंत हमला मत करिएगा। पहले उन्हें यहां आने दीजिए। क्या पता वो लड़ने के लिए नहीं बल्कि दोस्ती का पैगाम लेकर आईं हों।
बैंगन राजा को महारानी कैप्सिकम की बात जंच गई। तुरंत अपने सेनापति टिंडे को नदी किनारे भेजा। चेरी रानी का काफिला वहां पहुंच चुका था। सेनापति अमरूद आगे आए और उन्होंने वेजीटेबल किंगडम के सेनापति टिंडे से मुलाकात की। उन्हें बताया कि महारानी चेरी सब्जियों के राज्य में घूमना चाहती हैं।
सेनापति टिंडा यह पैगाम लेकर बैंगन राजा के पास गए। बैंगन राजा ने रानी चेरी और उनके सारे लाव लश्कर को पहले दिन जिमीकंद के गैस्ट हाउस में रुकाया, जहां मटर के सीक्रेट कैमरे लगे थे। एक दिन तक रानी चेरी और उनके सभी साथियों की सारी गतिविधियां देखने के बाद बैंगन राजा को यकीन हो गया कि महारानी चैरी वाकई दोस्ती का पैगाम लेकर आई हैं। उन्होंने तुरंत महारानी को कद्दू महल बुलाया और उनकी शानदार आवभगत की गई। महारानी कैप्सिकम भी महारानी चेरी से मिलकर बहुत खुश हुईं।
एक हफ्ते तक महारानी चेरी वहां रहीं और विदाई के समय उन्होंने महारानी केप्सिकम और महाराजा बैंगन को खूब सारे अखरोट, काजू, बादाम और अन्य फल उपहारस्वरूप दिए। बैंगन राजा ने भी महारानी चेरी को मटर, सेम, भिंडी आदि देकर विदा किया। चेरी महारानी ने उन्हें अपने फ्रूट किंगडम आने के न्यौता भी दिया।
खुशी-खुशी रानी विदा होकर वापस फ्रूट किंगडम पहुंची और राजा आम से सारी बात बताई। उस दिन से फलों और सब्जियों में दोस्ती हो गई। टमाटर की नदी पर अरबी का पुल बना दिया गया और दोनों राज्य के निवासी एक दूसरे से मिलने जुलने लगे, दोनों के बीच दोस्ती की गांठ जुड़ चुकी थी।