हमारे विकल्पों में युद्ध न हो, युद्ध का उन्माद न हो

GURMEHAR KAUR

पन्ना लाल

करगिल और ट्रॉय की जंग। युद्ध की दो कथाएं। शौर्य और पराक्रम की दो दास्तान। करगिल की जंग हमने लड़ी और ट्रॉय ग्रीक माइथोलॉजी से निकला। महान यूनानी साहित्यकार होमर की अमर रचना इलियड से प्रेरित होकर बनाई गई फ़िल्म ट्रॉय।ट्रॉय युद्ध के रक्त से सनी देश प्रेम, मानवीय प्रेम और व्यक्तिगत महात्वाकांक्षा की अनुपम कहानी है। ये फ़िल्म मानवीय संबंधों की बुनावट की गहरे पड़ताल करती है। और युद्ध की संहारक शक्ति के आगे बेबस इंसानी मूल्यों के समर्पण को दिखाती है।

युद्ध के लिए खिलाफ एक बेटी की लड़ाई
युद्ध के लिए खिलाफ एक बेटी की लड़ाई

इसी फ़िल्म के आलोक में पंजाब की गुरमेहर कौर की बात। गुरमेहर 19 साल की वो युवती है, जिसने 17 साल पहले करगिल जंग में अपने पापा को खोया था। इस लेख में 17 साल से रिस रहे उसी दर्द को महसूस करने की कोशिश की गई है। ट्रॉय के कई दृश्य और संवाद गुरमेहर के उसी भावनात्मक अपील की अभिव्यक्ति हैं, जिसमें उसने प्लेकार्ड के जरिये भारत और पाकिस्तान की सरकारों का ध्यान खींचा है। गुरमेहर कहती है कि उसके पापा को पाकिस्तान ने नहीं जंग ने मारा है। ये हमारे नये जेनेरेशन  की भारत पाक रिश्तों पर एक तल्ख टिप्पणी है। कितनी तल्ख? दर्द में कितनी बुझी हुई ? आप खुद एहसास करें। 2 साल की जिस बच्ची के पापा जंग में शहीद हो जाएं, लेकिन बेटी ‘दुश्मन’ देश को कसूरवार नहीं मानती। बल्कि इसके लिए वो उस हालात को जिम्मेदार ठहराती है, जिसने जंग पैदा की। दो मुल्कों का वो नेतृत्व कठघरे में खड़ा हो जाता है, जिन्होंने ऐसे हालात बनने दिये। कोई शक नहीं कि पाकिस्तान में भी कई गुरमेहर होंगी जो सरदह पार कि इस गुरमेहर जैसा ही अपना भाग्य पायी होंगी। और जिन्होंने ख़ुद को यतीम होने का दोष भारत पर नहीं, बल्कि जंग पर मढ़ा होगा। हिन्दुस्तान को इंतज़ार है ऐसी ही आवाज़ों को सुनने का।

AGAMEMNONइस फ़िल्म के एक दृश्य में ऐसे ही हालात का शिकार ट्रॉय का बूढ़ा राजा प्रियम है। जो अपने बेटे केशव को पाने के लिए अपने कट्टर दुश्मन के हाथ चूमता है। अकिलीज ने ट्रॉय के राजकुमार हेक्टर की हत्या कर दी है। और उसकी लाश को अपने शिविर में ले आया है। रात के अंधेंरे में अकिलीज के शिविर में पहुंचकर ट्रॉय का राजा अपने बेटे के हत्यारे के सामने सर झुकाता है। और उसके हाथ चूमता है। इसके बाद का संवाद दिल को छूनेवाला है।

अकिलीज-Who are you ?

प्रियम-I have endured what no one on earth has endured before. I kissed the hands of the man who killed my son.ACHILLIES AND HECTOR

जंग इंसान को किस कदर तोड़ सकती है। कितना मज़बूर कर सकती है। प्रियम की व्यथा इसकी मिसाल है। आखिरकार अकिलीज प्रियम को सम्मान के साथ हेक्टर की बॉडी सौंप देता है। और प्रियम से कहता है कि मैंने उसे मारा क्योंकि उसने मेरे cousin को मारा। इसके बाद प्रियम उत्तर देता है।

He thought it was you. How many cousins have you killed?’ How many sons and fathers and brothers and husbands? How many brave Achilles? अब हारे हुए राजा के जवाब से विजेता अकिलीज चित है।

अब जरा गौर कीजिए की गुरमेहर की संवेदना ने इतने सालों में कितने आयाम मापे होंगे? कितनी यात्राएं की होंगी ? 6 साल की उम्र में जब उसने बुरके वाली महिला पर हमला कर दिया था तो उसका भावनात्मक आवेग क्या रहा होगा? इतनी छोटी लड़की कैसे विश्वास करने लगी कि उसके पापा की मौत के पीछे मुसलमान का हाथ है। निश्चित रुप से उसकी कंडीशनिंग वैसी की गई। उसके सामने नफरत का वैसा संसार रचा गया। गुरमेहर अपने एक प्लेकार्ड में कहती है कि मेरे पास पिता की यादें नहीं है। पिता के ना होने का दर्द कैसा होता है, ये यादें ज्यादा हैं। अमन के लिए ये अपील, एक नागरिक की बड़ी कोशिश है। जिस सब-कॉन्टिनेंट ( sub-continent) में  वार मीडिया (war cry) मीडिया का कामन फेनोमिना (common phenomenon) है। जिस मीडिया ने भारत को सॉफ्ट स्टेट का नाम दे रखा है। वहां शांति के पैरोकारों की बड़ी मुसीबत है और उन्हें राष्ट्रभक्ति शक्तियां कई विशेषणों से नवाजती रहती हैं। लेकिन ख़ुद को पीस सोल्जर कहने वाली गुरमेहर एक नयी लड़ाई के लिए तैयार है। और ये लड़ाई है भारत-पाकिस्तान में शांति कायम करने की ।

होमर ने अपनी रचना इलियड में युद्ध को विजेताओं का आभूषण माना है। ट्रॉय में अपने साम्राज्य का भूखा राजा एग्मेन्नोन घोषणा करता है

Peace is forwomen and weak’ यानी शांति सिर्फ कमजोर और महिलाओं के लिए होती है

जबकि उसका सहयोगी ODYSSEUS कहता है ‘War is young men dying old men talking’ यानी युद्ध युवा पीढ़ी को खत्म है।

गुरमेहर की कहानी युद्ध के इसी उन्माद का शिकार है। पाकिस्तान ऐसे हालात में बना है जहां ये उन्माद हर वक़्त बना रहता है। इसके सियासी मायने हैं और भावनात्मक अपील है। इस अपील का दोनों देशों में पुरजोर इस्तेमाल होता है। और इस लहर पर बैठ कर सरकारें सत्ता की सवारी करती हैं।

ट्रॉय के सीन में फ़िल्म के नायक अकिलीज को उसके विध्वंसक शख़्सियत की याद दिलाने की कोशिश की गई है। अकिलीज युद्ध में ट्रॉय के राजकुमार हेक्टर की कजिन BRISEIES को अपहरण कर ले आता है। हेक्टर के शिविर में रहते हुए दोनों एक-दूसरे से प्यार करने लगते हैं। एक दिन BRISEIS उससे पूछती है।

BRISEIS- आपने ऐसी लाइफ क्यों चुनी ? (Why did you choose this life?)

ACHILLES- कैसी लाइफ (What life?)

BRISEIS- एक महान योद्धा बनने वाली (To be a great warrior.)

ACHILLES- मैंने कुछ नहीं चुना, मैं बस यहां पैदा हुआ था और आज ये क्या कर रहा हूं ( I chose nothing. I was born and this is what I am.)

BRIESIESअकिलीज अपने अतीत को बदल नहीं सकता। भविष्य बदलना नहीं चाहता। लेकिन सलाम गुलमोहर की सोच को, वो एक नयी लकीर खींचना चाहती है। ग़ैर परंपरागत। कोई आश्चर्य नहीं होता यदि वो कहती, मैं भी बड़ी होकर अपने पापा की तरह फौजी बनना चाहती हूं। दुश्मनों से बदला लेना चाहती हूं। लेकिन उसने कहीं बड़ी लकीर खींचने की ठानी है। हमारी शुभकामनाएं हैं उसके साथ।

गुरमेहर की सूनी आंखों ने इंतज़ार के उन पलों को देखा है, जिसका जिक्र ट्रॉय में दो कट्टर दुश्मन एक-दूसरे से करते हैं।

युद्ध का वक़्त मुकर्रर हो चुका है। कल हेक्टर और अकिलीज की आर्मी इतिहास की सबसे यादगार लड़ाइयों में से एक का हिस्सा बनेंगी। इससे पहले अकिलीज हेक्टर पर उपहास के बाण छोड़ता है।

Achilles- Go homeprince, Drink some wine, Make love to your wife. Tomorrow we will have our wars.

हेक्टर जवाब नहीं दे पाता है। लेकिन उसका उत्तर एक ऐसी पत्नी की मनोस्थिति है। जिसका पति देश के लिए लड़ने गया है। भीषण रण जारी है और पत्नी रोजाना अपने दरवाजे पर उसके लौटने का इंतज़ार करती है।

हेक्टर भरे मन से कहता है,

You speak of wars, if it is a game. But how many wives wait at Troy’s gates for husbands they will never see again.

ये जवाब युद्ध दुदुंभी बजाने के लिए तत्पर लोगों से सीधे टकराता है। गुरमेहर ने इस जवाब में छिपे मर्म को ना सिर्फ समझा बल्कि उसने पॉलिसी मेकर्स को बेचैन करने वाली चिंता भी दी है। उसके विचार एक शहीद की बेटी के दिमाग में मचे मंथन से जन्मे हैं। उम्मीद है पाकिस्तान में भी इस चिंता से हलचलें हुई होंगी।

राष्ट्रकी सुरक्षा हमारी प्राथमिकता की सूची में पहले पायदानपर है। लेकिन नौबत वार तक आ पहुंचे। इससे पहले कई दीवारें खड़ी कर दीजिए ना। मज़बूत और अभेद्य। युद्ध आखिरी विकल्प है।


panna lal profile

पन्ना लाल। पिछले एक दशक से ज़्यादा वक़्त से पत्रकारिता में सक्रिय। इन दिनों न्यूज नेशन में बतौर प्रोड्यूसर कार्यरत।