‘सबक’ याद कर लो… वरना नलके का पानी ‘सज़ा’ ही रहेगा

शालू अग्रवाल

shalu bachche paniटू वन जा टू, टू टू जा फोर, टू थ्री जा सिक्स। मेरठ से सटे जलालपुर गांव के प्राथमिक विद्यालय में सुबह-सुबह बच्चे टू की टेबल पढ रहे थे। तभी स्कूल शिक्षिका कलीम बानो ने पूछा- रिजवान तुम बताओ टू फोर जा… । कलीम बानो के सवाल पर रिजवान चुप्पी साध गया और कातर निगाहों से उन्हेंदेखने लगा। रिजवान की इस हरकत पर कलीम बानो ने सजा के तौर पर जो कहा उसका अंदाजा कक्षा में किसी को न था। कलीम बानो ने छात्रों को आगाह करते हुए कहा- अगर कल पहाड़े याद करके नहीं आए तो ये जो स्कूल के बाहर नलका दिख रहा है, उसका पानी पिलाऊंगी।

shalu nalaसरकारी नलके के गंदे पानी को पीने से बचने के लिए दूसरे दिन सारे बच्चे पहाड़े याद करके स्कूल पहुंचे। कलीम बानो कहती हैं, किसी टीचर के लिए यह बात हास्य का विषय होगी कि छात्रों को पानी पिलाने की सजा दे, लेकिन इस इलाके के बच्चों के लिए ये बहुत बड़ी सजा है, जिसे वो जन्म से भुगत रहे हैं। गांव में नलकों का पानी गहराई तक मैला हो चुका है। पानी में बदबू, चिकनाई की शिकायत आम है। कई मर्तबा तो लाल पानी आता है, मानो खून निकल रहा हो। प्रधान जी ने मान मनौव्वल करके गांव में पानी की टंकी लगवाई लेकिन वो भी हमारा सहारा न बन सकी। जल निगम के अफसरों ने 10 साल तक साफ पानी की गारंटी दी थी, लेकिन टंकी का पानी तो एक साल में ही रंग बदल चुका है। टंकी के पानी में भी नलके के पानी की तरह अजीब सी चीज़ निकलती है, जो मांस के कतरे सरीखी दिखती है।

जल प्रदूषण के मुख्य कारण

अवैध स्लॉटर हाउस, पॉटरी उद्योग, ज्वैलरी मेकिंग मंडी, कालीन उद्योग, रबर कारखाने, इस्पात उद्योग, बैटरी निर्माण, बिजली सामानों का निर्माण, पेस्टीसाइड निर्माण, चर्म शोधन, टेक्सटाइल उद्योग, चीनी मिलें, पेपर मिलें, खेल सामग्री का बड़े स्तर पर निर्माण।

उन्नत खेती, धनधान्य, अच्छी फसल और गन्ने की मिठास के साथ गुणवत्ता युक्त मीठे पानी के लिए मशहूर पश्चिमी उत्तरप्रदेश की धरती आज जलसंकट के मुहाने पर खड़ी है। गंगा, यमुना, हिंडन और काली सरीखी अपार जलराशि वाली नदियों के बावजूद दोआबा का यह क्षेत्र साफ पानी को तरस रहा है। गन्ने जैसी कठोर फसल को सिंचित करने वाली पश्चिमी उत्तरप्रदेश की मिटटी अब सब्जी और सामान्य फसलों को उगाने में भी कराहती है। मिट्टी की उर्वरता पर लगे दूषित जल के ग्रहण ने पश्चिमी उत्तर प्रदेश के खेतों से उन्नत फसलों की गारंटी खत्म कर दी है। साथ ही, आदमजात को कैंसर, दमा, बांझपन, इंफर्टिलिटी और विकलांगता का शाप भी दिया है।

पानी में शामिल प्रदूषक तत्व

डब्लू डब्लू एफ व सेंटर फॉर साइंस एंड एनवायरमेंट की सर्वे रिपोर्ट में पानी में लेड, कैडमियम, पारा, क्रोमियम, जिंक, निकिल, आर्सेनिक, सल्फर, आयरन, नाइट्रेट, कॉपर, सोडियम, पोटेशियम, फास्फेट और मरकरी पाया गया है।

shalu- anoopमेरठ, मुजफ्फरनगर, बागपत, शामली, बिजनौर, सहारनपुर, मुरादाबाद, बुलंदशहर और गाजियाबाद से लेकर हापुड़ तक भूजल में प्रदूषण का गहन जाल फैल चुका है। इलाके में बहने वाली सदानीरा नदियां ही नहीं बल्कि धरती के गर्भ में छिपा जल भी प्रदूषित हो चुका है। इस प्रदूषण का मुख्य कारण इलाके में चलने वाले वैध-अवैध बूचड़खाने हैं, जिन्होंने पानी को 150 फीट गहराई तक दूषित कर दिया है। हजारों की संख्या में चलने वाले इन स्लाटर हाउसों से निकलने वाला लाखों लीटर पशु रक्त गड्ढे बनाकर धरती के पेट में छोड़ा जा रहा है। मेरठ में बड़े पैमाने पर पशु मांस का कारोबार होता है। पशुओं का मांस लोकल मंडियों के अलावा इरान, सउदी अरब, अमीरात व खाड़ी देशों में निर्यात होता है। पशुमांस की इस जरुरत को पूरा करने के लिए रोजाना हजारों की संख्या मे कटने वाले पशुओं के अवशेष, छिन्न भिन्न अंगों को भी अवैध तरीके से धरती की कोख में ठूंस दिया जाता है।

पश्चिमी उत्तरप्रदेश के पांच जिलों में जल प्रदूषण से जूझते 200 गांवों की आबादी की आवाज निजी संस्थाओ और मीडिया के जरिए नेशनल ग्रीन टिब्यूनल के कानों में पहुंची। एनजीटी ने तुरंत प्रदेश सरकार को इन गांवों में जल निगम को जीपीएस लगे टैंकरों से शुद्ध पानी मुहैया कराने का फरमान दिया, ताकि काम की मॉनिटरिंग हो सके। यहां गहराते जलसंकट की आवाज की सत्ता के गलियारों में कोई सुनवाई नहीं। देष को चौधरी चरण सिंह सा प्रधानमंत्री देने वाली भूमि के किसान परेशान हैं।


shalu aggarwal profile-1शालू अग्रवाल। मध्यप्रदेश के जबलपुर की निवासी। पिछले कई सालों से मेरठ में रहते हुए पत्रकारिता में सक्रिय। रानी दुर्गावती विश्वविद्यालय, जबलपुर और सीसीएस, मेरठ से उच्च शिक्षा। माखनलाल चतुर्वेदी पत्रकारिता विश्वविद्यालय से पत्रकारिता का अध्ययन। आपकी संजीदा और संवेदनशील पत्रकारिता को कई संस्थाओं ने सराहा और सम्मानित किया।


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