भारत माता की जय, समर्थन-विरोध का खेल निराला है!

पन्ना लाल

bharat mataभारत में देशभक्ति पर चल रही बहस को संदर्भों में देखने की जरूरत है। मातृभूमि की पूजा को भारत में एक सहज विचार माना जाता रहा है। ‘भारत माता की जय’ का नारा हो या फिर राष्ट्रगीत ‘वन्दे मातरम्’ इसमें राजनीति की गुंजाइश ही हमारे नागरिक धर्म पर सवाल खड़े करती है। सवाल ये कि भारत माता की जय कहने की मज़बूरी क्यों? सवाल ये भी कि देश की जय बोलने में हिचक क्यों? और इस हिचक के निहितार्थ क्या? एक प्रश्न ये भी कि नारों के आवेग में कहीं जरुरी मुद्दों को ढकने और उनसे मुंह मोड़ने की कोशिश तो नहीं हो रही?

fadanvisमैं दो उदाहरण बताऊंगा। महाराष्ट्र में पानी के मचे हाहाकर के बीच अगर सीएम फड़णवीस कहते हैं कि भारत माता की जय नहीं कहने वालों को देश में रहने की ज़रुरत नहीं, तो उनसे मराठवाड़ा में पड़े भयावह सूखे के संदर्भ में सवाल पूछा जाना चाहिए। सवाल ये कि, ‘हुजूर ! मराठवाड़ा की जनता भारत माता का जयकारा लगाना तो चाहती है लेकिन सूखे हलक से आवाज़ ही नहीं निकलती’। अगर जनता को दो घूंट पानी मिले, तो गला तर कर ठंडे दिल से भारत मां को याद करें। महाराष्ट्र के युवा सीएम फड़णवीस अगर वक्त रहते इस अकाल से निपटने की कोशिश करते तो नासिक, लातूर, परभणी की जनता देश के साथ सीएम की भी जयकार करती।

अब बात ओवैसी की। हैदराबाद की राजनीति के इस स्ट्रीट चैम्पियन को मुसलमानों का मसीहा बनने की जबर्दस्त हड़बड़ी है। और इस होड़ में उन्हें चैलेंज मिला है लालू, मुलायम और कांग्रेस के कई घाघ राजनीतिज्ञों से। लिहाजा ओवैसी के हर बयान में मुसलमानों की रहनुमाई दिखती है। और ये रहनुमाई उन नेताओं से कहीं अधिक होनी चाहिए जो अबतक ‘इंडियन सेकुलर ब्रान्ड’ की ठेकेदारी करते आए हैं। इसलिए ओवैसी देश के मुस्लिमों को बताते फिरते हैं कि एमआईएम वो सियासी जमात है जो आपके हक़ की लड़ाई लड़ेगा। और आपके दीन पर भी कोई आंच नहीं आने देगा। फिर कोई ओवैसी की गर्दन पर छुरी ही क्यों ना रख दे, ये जुबान किसी की जय नहीं बोलेगी।

इस बयान की खालिस सियासी संदर्भ में पड़ताल होनी चाहिए। ओवैसी साहब, क्या राज्यसभा में भारत माता की जय कहने वाले जावेद अख्तर साहब का इस्लाम ओवैसी ब्रान्ड इस्लाम से कमतर है? ओवैसी साहब आप खुद काजी बनकर इस्लाम को बेहतर और कमतर के बीच बांट रहे हैं। और ऐसा कर के आप इस्लाम के सबसे पॉवरफुल एलीमेंट ‘यूनिवर्सल ब्रदरहुड’ और ‘इक्वलिटी बिफोर अलमाइटी’ को ही चुनौती दे रहे हैं। आखिर अच्छा और बुरा मुसलमान तय करने के लिए आपको जज बनाया किसने?

owaisiओवैसी साहब भारत माता की जय कहने से मना कर आप मुसलमानों के मन में देश के प्रति दुर्भावना पैदा करते हैं। उनके नाजुक मन में देश के कानून और सिस्टम की खिल्ली उड़ाने वाला भाव पैदा करते हैं। आप उन्हें ये विश्वास करने के लिए रीजनिंग और लॉजिक देते हैं कि मुल्क से तुम्हारी वफ़ादारी तभी तक, जब तक तुम्हारा मजहब न आड़े आए। और आपकी इस सोच का फायदा इंडियन मुजाहिद्दीन, आईएसआईएस और लश्कर जैसे आतंकी संगठन मुसलमानों को बरगलाने और भड़काने के लिए करते हैं।

ओवैसी साहब मैं ये नहीं कहता कि देशभक्ति का सर्टिफिकेट बीजेपी और आरएसएस ही बांटेगी। हिन्दुस्तान का उद्घोष किसी की मिल्कियत नहीं है लेकिन इसका उपहास भी मत उड़ाइए। भारत माता की जय भले ही एक नारा है लेकिन सवाल निष्ठा का है। ऐसा नहीं है कि मात्र नारा लगा देने से देश के प्रति सम्मान पैदा हो जाता है। लेकिन ऐसा न बोलने का खुल्लम खुल्ला ऐलान कर आप भारतीयता को चुनौती मत दीजिए। जरा अशफाकउल्ला खान को भी याद करिए।


panna lal profileपन्ना लाल। पिछले एक दशक से ज़्यादा वक़्त से पत्रकारिता में सक्रिय। सहारा, श्रीन्यूज जैसे चैनलों में काम किया। इन दिनों न्यूज नेशन में बतौर प्रोड्यूसर कार्यरत।


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