नाचे, गाएं, खेलें होली… जोगीरा सा रा रा

गांव घर की होली। फगुआ गान ‪#‎कालीमंदिर‬ ‪#‎धमदाहा‬ गांव की ही टोली है।
गांव घर की होली। फगुआ गान। ‎कालीमंदिर, ‎धमदाहा‬ में गांव की टोली का जोगीरा सा रा रा

बासु मित्र

पिछले एक दशक से मेरे गांव में भी होली की चमक फीकी सी हो गयी थी। रोजी-रोटी के चक्कर में तीन चौथाई परिवार देश के अलग-अलग कोनों में बस चुके हैं। कुछ लोग शहरी जामा ओढ़े त्यौहार मनाने घर लौटते भी थे, लेकिन उनके लिए यह सामाजिक कम पारिवारिक होली ज़्यादा होती थी। उन्हें गंवई लोगों के साथ होली खेलना गंवारा न था।

गांव में पहले एक महीने पहले से फाग की तैयारी हो जाती थी और बाकायदा लोग एक साथ बैठ कर फगुआ गाते थे। वह भी बंद हो चुका था। कुछ लोग परम्परा निभाते तो, उन पर सामाजिक निठल्ले होने का लेबल चस्पा कर दिया जाता था। जैसे ही होली नजदीक आती, पिछले साल के हुड़दंग और शराब की चर्चा ज़्यादा होती। अपने घर के बच्चों पर पाबन्दी लगाने का दौर शुरू हो जाता। जो लोग घर से बाहर होते, उन्हें गांव की पुरानी होली की याद सताती। जो गांव में होते उनके लिए तो मानो सब एक जैसा। एक दशक बाद इस साल गांव के युवाओं ने फिर से होली को जीवंत बनाने का फ़ैसला किया। कोई कसर नहीं छोड़ी। एक बार फिर से गांव की होली ने बचपन की याद दिला दी।


बलमुआ ठीकेदार सड़क पर झूला लगा दे रे सइयां……। 

धुर्रा होली और हुड़दंग
धुर्रा होली और हुड़दंग

पुष्यमित्र

गांव में धुरखेल शुरू हो गया है, शहर खरीदारी में व्यस्त है…. खेले मसाने में होली दिगंबर, खेले मसाने में होली

धमदाहा से लाइव
धमदाहा से लाइव- गांव में धुरखेल शुरू

हमलोग होलिका को नहीं जलाते हैं, संवत (बीत रहे साल) को जलाते हैं। जब गुजरे साल की हर बात जल ही गयी तो फिर एक दूसरे के सारे हर्ष विषाद भी भुला देते हैं। और संवत की राख, गुजर रहे साल की अच्छी बुरी यादों के फूल एक दूसरे के चेहरे पर मल कर कहते हैं- बुरा न मानो होली है। ताकि नये साल की शुरुआत खुले दिल से कर सकें। तो दोस्तों किसी बात का बुरा नहीं मानना, क्योंकि होली है।


रंग सभी रंगीले देखो

चंदन शर्मा

होली के मायने उनसे पूछिए जो परिवार से दूर हैं। उनसे पूछिए जिसकी मूल जमीन छूट चुकी है। इतने सारे रंग भी फीके ही हैं। सौभाग्यशाली हैं वे लोग जो आज भी अपनी माटी में पुराने दोस्तों के साथ हैं। बाकी तो प्रोफेशनल रिश्ते और चेहरे पर कैमरा स्माइल के साथ फेसबुक है ही, त्यौहार की औपचारिकता निभाने को। हम अपनी जमीन से जुड़े रहें इसी उम्मीद के साथ होली की शुभकानाए, गुलशन मदान के कलम से पेश है रंगों की बौछार…

मालपुआ छक रहा है...आइए खेलें होली !
मालपुआ छक रहा है…आइए खेलें होली !

रंगों का त्योहार है होली
खुशियों की बौछार है होली
लाल गुलाबी पीले देखो
रंग सभी रंगीले देखो
पिचकारी भर-भर ले आते
इक दूजे पर सभी चलाते
होली पर अब ऐसा हाल
हर चेहरे पर आज गुलाल
आओ यारों इसी बहाने
दुश्मन को भी चलो मनाने