नंद गांव की गौशाला, जहां रंभाती हैं सवा लाख गायें

पथमेडा गौशाला, राजस्थान। फोटो- भव्य श्रीवास्तव
पथमेडा गौशाला, राजस्थान। फोटो- भव्य श्रीवास्तव

भव्य श्रीवास्तव

राजस्थान के सांचौर जिले में पथमेडा गौशाला है, जो विश्व की सबसे बड़ी गौशाला मानी जाती है। मैं हाल ही में यहाँ गया। गौशाला की बात होते ही एक खास दायरे में हम सोचने लगते हैं। गाय हिन्दुओं की पूज्य के तौर पर देखी जाती है और इसीलिये हिन्दूवादी संगठन, दल, विचार इसे अपनी बपौती मानते हैं। पथमेडा में आज एक लाख 25 हजार गाय हैं। ये प्रकल्प 1993 में आठ गाय से शुरू हुआ। शुरू करने वाले एक हिन्दू संत ही थे, दत्त शरणानंदजी महाराज। जिस स्वरुप की कल्पना इस संत ने की वो केवल गाय या उसके पालन पर आधारित न होकर, उसकी सच्ची सेवा का था। आज पथमेडा के दूध, घी, अर्क, गौ उत्पाद से बनी आयुर्वेद औषधि, रसगुल्ला तक बाज़ार में उपलब्ध है। पर इनके लिए पथमेडा गौशाला में मौजूद किसी भी गाय के दूध का बूँद भर भी इस्तेमाल नहीं किया जाता। पथमेडा अपने मूल उद्देश्य भारतीय गायों के संरक्षण और संवर्धन पर व्यावहारिक और सैद्धांतिक तौर पर क़ायम है।

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आसपास के गाँवों में पलने वाली भारतीय गायों का दूध पथमेडा बाज़ार भाव से पाँच रुपये अधिक की क़ीमत पर ख़रीदकर उत्पादों का निर्माण करता है। ये अत्यंत विरल सोच और भाव है। देश में कई तरह के देशी घी मौजूद है, जो दावा करते हैं- गाय का देसी घी, पथमेडा कहता है कि- हम ‘देसी गाय का घी’ बनाते हैं।

देश में गौपालन, और गौअधिकारों को लेकर विवाद भी रहा है। हाल में कुछ सरकारों ने गौहत्या पर प्रतिबंध भी लगाया है। पर पथमेडा की सोच गाय की समूलता से है। आप कल्पना कीजिए कि सवा लाख गायें कैसी दिखती होंगी। कैसे रहती होगी। कैसे संरक्षित की जाती होंगी और इस सब पर कितना ख़र्चा आता होगा।

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1995 में पथमेडा ने नंदगाँव में 3 हज़ार एकड़ ज़मीन ख़रीदी। राजस्थान में गोचर ज़मीनें चिन्हित की गई है। ये गाय का चारा पैदा करने हेतु रखी गई है, पर ये ज़्यादातर बंजर इलाक़ों में पड़ती है। पथमेडा ने नंदगाँव की ज़मीन ख़रीदकर यहाँ एक हज़ार एकड़ में सवा लाख पौधे लगाए। एक बाग़ लगाया, सड़कें बनवायी। लाइट पोस्ट लगवाए और गायों के लिए आधुनिक बाड़े बनवाए। आजकल इसी जगह गौकृपा महोत्सव जारी है, जो 1966 के गौ आंदोलन के पचास साल पूरे होने पर किया जा रहा है।पथमेडा और नंदगाँव को केवल तस्वीरें देखकर, लेख पढ़कर, किस्से सुनकर नहीं समझा जा सकता है।

ये स्थान राजनीति और विचारधारा से अलग हटकर एक ऐसा काम कर रहा है, जो आने वाले समय में भारतीयता के लिए एक पहचान का काम करेगा। कभी जाइयेगा इस गौशाला में, सोच बदलने के लिए।


bhavya

भव्य श्रीवास्तव। फक्कराना मिजाज के साथ इंसानियत का पाठ पढ़ते हैं और उसे दूसरों तक पहुंचाने की सतत कोशिश करते हैं। 


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One thought on “नंद गांव की गौशाला, जहां रंभाती हैं सवा लाख गायें

  1. i will visit pathmeda and nandgav in 1 st week of may 2017 i want to experiance the gaushala

    i am given information by our firend shri gopiramji in ahmedabad

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