द ट्रुथ… द ओनली ट्रुथ… बट द कलर इज़ ‘ब्लैक’

 

कौन बनाता है एक महिला को डायन, कौन है हत्यारा?
कौन बनाता है एक महिला को डायन, कौन है हत्यारा?

-संजय श्रीवास्तव के फेसबुक वॉल से

मैं डायन प्रथा के बारे में ज्यादा नहीं जानता था। पिछले दिनों जब इसी विषय पर बनी फिल्म ”काला सच – द ब्लैक ट्रुथ” के लिए कुछ लिखने को कहा गया तो इस विषय के बारे में जानने की कोशिश की। पता चला कि देश के करीब 14 राज्यों में हर साल कई महिलाओं को डायन करार कर मार दिया जाता है। नेशनल क्राइम रिकार्ड्स ब्यूरो के मुताबिक वर्ष 2000 से 2012 के बीच 2097 महिलाओं को डायन बताकर उनकी हत्या कर दी गई। इनमें से 363 हत्याएं झारखंड में रिकॉर्ड की गईं।

कम बजट और संसाधनों में एक स्तरीय फ़िल्म बन पड़ी है काला सचद ब्लैक ट्रुथ। एक साल ये फ़िल्म सेंसर से लड़ाई लड़ती रही। फिर फ़िल्म ट्रिब्यूनल ने जब इसे पास किया तो खासी मशक्कत के बाद मुंबई, दिल्ली और मध्य प्रदेश और कई राज्यों में रिलीज हो पाई। संयोग की बात है जिस दिन फ़िल्म देखने जाना था, उसी दिन अख़बार में दुखद खबर पढने को मिली कि झारखंड में पांच महिलाओं को डायन बताकर उनकी हत्या कर दी गई।

मयंक श्रीवास्तव निर्देशित फिल्म 'काला सच' डायन के अंतर्मन की परतें खोलती है।
मयंक श्रीवास्तव निर्देशित फिल्म ‘काला सच’ डायन के अंतर्मन की परतें खोलती है।

फिल्म दिल्ली में कनाट प्लेस के सबसे पुराने सिनेमा हाल रीगल में लगी है। ये कसी हुई फिल्म है, जो बहुत तरीके से असल समस्या की जड़ तक जाती है। महिलाओं के साथ होने वाली डरावनी साज़िशों पर सवाल खड़े करती है। इस विषय का ट्रीटमेंट रूपहले पर्दे पर करीब ढाई घंटे की कसी हुई फीचर फ़िल्म के रूप में करना आसान नहीं था। लेकिन इसे बखूबी किया गया। ये बेहद कसी हुई और झकझोरने वाली फ़िल्म है, जो आपको खुद से जोड़ती है। इसे देखकर 70 और 80 के दशक के समानांतर सिनेमा की याद आ जाती है। समझ में आता है कि समाज की अशिक्षा और अंधविश्वास का फायदा खौफ़नाक ढंग से कैसे कोई स्वार्थी गठजोड़ उठाता रहा है।

फिल्म के निर्देशक मयंक श्रीवास्तव हैं। शूटिंग के दौरान उन्हें उनकी यूनिट के साथ झारखंड में बंधक भी बनाया गया था। हां, एक बात और है-सीमित बजट, प्रचार के तामझाम और संसाधनों का अभाव किस कदर एक अच्छे सिनेमा की राह में रुकावट बन सकता है-वो यहां भी दिख रहा है।

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संजय श्रीवास्तव। पिछले तीन दशकों से अपनी शर्तों के साथ पत्रकारिता में ठटे और डटे हैं संजय श्रीवास्तव। संवेदनशील मन और संजीदा सोच के साथ शब्दों की बाजीगरी के फन में माहिर। आप उनसे 9868309881 पर संपर्क कर सकते हैं।

 


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