देवरिया में कहां है ‘देव’ का वास

लोकनृत्य- फरुआही
लोकनृत्य- फरुआही

डॉ. भावना सिन्हा

जब से होश सम्भाला तब से यही सुनती आई कि हम लोग देवों की नगरी देवरिया में रहते है। वही देवरिया जिसे देवों की नगरी माना जाता है। जहां के देवरहा बाबा पूरे देश में मशहूर हैं । पर जैसे जैसे बड़ी हुई ये उत्सुकता घर करने लगी कि कहाँ है देव? किधर रहते होंगे ? कुछ उनके अवशेष भी रहे होंगे। कुछ तो उनके अस्तित्व होंगे जो इस जगह को देवरिया बनाता है।

देवरिया भारत के उत्तर प्रदेश प्रांत का एक जिला जो गोरखपुर से करीब 50 किलोमीटर दक्षिण पूर्व में बिहार प्रान्त  से सटा हुआ है। जिज्ञासा को शांत करने के लिए जो इतिहास को खंगाला तब यह पता चला कि यहां कभी बहुत घने वन हुआ करते थे और इन्ही वनों में देवताओं का वास होता था। नाम दिया गया देवारण्य अर्थात जहां देवता भी रहते हो। अत्यंत प्राचीन में जाए तो, देवरिया में अयोध्या के राजा श्री राम के पुत्र कुश ने अपना साम्राज्य बसाया और उस जगह का नाम पड़ा कुशावत (कुशीनगर ) जो कि अब देवरिया से पृथक होकर कुशीनगर जनपद हो गया है। पुरातत्व विभाग की माने तो कौशल राज का यह एक भाग था।  स्वतंत्रता संग्राम में भी देवरिया पीछे नहीं रहा है,तरकुलवा के शहीद रामचंद्र इंटरमीडिएट कॉलेज का कक्षा 8 का छात्र रामचंद्र देवरिया में तिरंगा को लहराकर शहीद रामचंद्र हो गया।

देवरहा बाबा समाधि स्थल
देवरहा बाबा समाधि स्थल

देवरिया लगभग 25 27. 2 किलोमीटर में फैला हुआ है। कृषि से भरपूर जिले में कभी पूरे भारत की सबसे ज्यादा चीनी मिलें थी।घाघरा ,राप्ती और गण्डक नदियों में भरपूर पानी के कारण इस जिले की मिटटी बहुत ही उपजाऊ है। देवरिया में हर 10 कदम पर आपको मंदिर और हर आधे किलोमीटर भी मस्जिद मिलेंगे। देवरिया का इतिहास रहा है कि  इस जिले की लोग शांतिप्रिय है। पर्यटन की दृष्टि से देखिए तो रुद्रपुर में प्राचीन शिवलिंग जो बाबा दूधेश्वर नाथ के नाम से ग्रंथ में वर्णित है।इतिहास बताता है कि रुद्रपुर में रुद्र सिंह नाम के राजा का किला था और इन्ही के नाम पर रुद्रपुर स्थान का नाम पड़ा। सावन के महीने में दूर दूर से भक्त शिव लिंग पर जल चढ़ाने आते हैं।ग्रामीण अंचल  होते हुए भी शिक्षा के क्षेत्र में यह स्थान बहुत आगे है। परवल की मिठाई यहां की विशेषता है। प्रशासन की उपेक्षा और जन जागरुकता की कमी के कारण इस जगह को वह महत्व नहीं मिल पाया जितना मिलना चाहिए।

सरयू नदी के तट पर बसा बरहज स्वयं में धार्मिक महत्व लिए हुए हैं। कार्तिक पूर्णिमा के स्नान के लिए यहां श्रद्धालुओं का तांता लगा रहता है। जब यातायात के साधन नहीं था तो सरयू नदी जल मार्ग का प्रसिद्ध रास्ता था। दूर दूर से लोग यहां बाजार करने आते थे। बरहज के लिए यह लाइनें प्रसिद्ध थीहज-

देवरिया की मशहूर बाची-चोखा
देवरिया की मशहूर बाटी-चोखा

” कलकत्ता जइसन शहर ना देखनी,

बरहज जइसन न बाजार”

बरहज बाजार सब्जियों और गर्मी के फलो के लिए प्रसिद्ध है। तरबूज, खरबूज, खीरा और ककड़ी यहां से दूर दूर तक निर्यात होते है। मुख्यालय देवरिया से बरहज और रूद्रपुर जाने के लिए केवल सड़क मार्ग है। रेल मार्ग से रूद्रपुर अभी तक नहीं जुड़ पाया है। सलेमपुर से होकर रेल मार्ग से बरहज जाया जा सकता है । सलेंमपुर (देवरिया के दक्षिण) में मझौली राज का महल है।यह भी एक तरह की उपेक्षा का शिकार है कोई उत्तराधिकारी ना होने के कारण यह महल जीर्ण अवस्था में हैजीर्ण। लोग कहते हैं कि मझौली राज में मच्छर नहीं काटते है। देवरिया के नोनापार गावँ का की ख्याति दूर दूर तक फैली हुई है। बाबा मणिनाथ के समाधि स्थल पर लोग दूर दूर से माथा टेकने आते है। इस गाँव के लोग उच्च शिक्षा में झंडे गाड़ते है। कई प्रशासनिक अधिकारी और प्रोफेसर इस गांव से निकले है।

बिहार की सीमा से सटे  स्थान है रतसिया। पुरानी कथाओं के अनुसार कहा जाता है कि राम और सीता जी ने वनवास  जाते हुए एक रात यहां विश्राम किया जिस कारण इस स्थान का नाम रतसिया पड़ा । देवरिया मुख्यालय से ही 30 किलोमीटर पूर्व में भटनी ब्लाक है। बिहार को जोड़ने वाला रेलमार्ग का जंक्शन है। भटनी से 6 किमी की दुरी पर बनकटा शिव जो कि गण्डक नदी के किनारे है। शिव और दुर्गा माता का भव्य मन्दिर है। कथाएँ प्रचलित है कि इसके समीप तालाब में स्नान करने से कुष्ठ रोग ठीक हो जाता है। हालांकि ये अंधविश्वास ही है पर आपको यहां पर ऐसे लोग मिल जाएंगे जो भूत प्रेत छुड़ाने के लिए यहां आते है। भाटपार में मदन मोहन पी जी कालेज है जिसमे आपको बी एच यू की झलक दिखेगी।

मझौली राज के पास दीर्घेश्वर नाथ का मंदिर ।
मझौली राज के पास दीर्घेश्वर नाथ का मंदिर ।

देवरिया शहर में 4 मुख्य मन्दिर है देवरही (दुर्गा जी),सोमनाथ(शिव जी), हनुमान मन्दिर और बालाजी का मन्दिर। बाला जी का मन्दिर दक्षिण राज्यो की शैली में बना है। इसके अलावा गायत्री मन्दिर, श्याम मन्दिर ,शिव मन्दिर, दुर्गा मन्दिर, काली मन्दिर जैसे छोटे छोटे तमाम मन्दिर है। शहर में बीचो बीच एक स्थान है जहाँ देवरिया का मुख्य बाजार है। नाम है छः मुखी चौराहा। छः रास्ते निकलते है यहां से लेकिन नाम है चौराहा। एक जामा मस्जिद एक गुरुद्वारा और 4 चर्च तथा हर मोहल्ले में छोटे छोटे मस्जिद है। कई महाविद्यालयो और स्वतन्त्रता के पहले का स्थापित एक राजकीय इण्टर कालेज के साथ कई इंटरमीडिएट कालेज है।शहर में दो ओवर ब्रिज है जो एक गोरखपुर और दूसरा कुशीनगर को जोड़ता है। देवरिया की दही एक अनूठे स्वाद के साथ प्रसिद्ध है। पेड़ा गली पेड़ा दूर दूर तक प्रसिद्ध है।

क्यों आये देवरिया- क्योंकि अपने में व्यस्त और मस्त रहने वाला शहर है।

bhavana sinha


डॉ. भावना सिन्हा, प्रवक्ता राजनीति विज्ञान विभाग, बी आर डी पी जी कालेज देवरिया। जिला गाइड कमिश्नर। आजीवन सदस्य – नागरी प्रचारणी सभा देवरिया एवं विज्ञान भारती ।

16 thoughts on “देवरिया में कहां है ‘देव’ का वास

  1. देवरिया में पर्यटन को बढ़ावा देने की जरूरत है। रामसीता से जुड़े स्थलों की जानकारी दुनिया के सामने आना चाहिए।

    1. हाँ मैं भी यही चाहती हूँ और प्रयासरत हूँ कि इस बात में कितनी सच्चाई है ।

      1. धन्यवाद मैडम जी देवभूमि देवरिया शानदार वर्णन किया

  2. आज घर से दूर होकर भी घर की याद दिला दी मैडम मुझे गर्व है क़ि मै देवरिया का हूँऔर शिव बनकटा की यादो की एक हिस्सा आप भी है।

  3. प्रणाम मैडम जी _/\_
    बहुत अच्छा लेख है अपने शहर की
    लेकिन 2 ऐतिहासिक जगहों के नाम छूट गए है जैनियो के तीर्थस्थल खुखुन्दू और पौहारी महाराज के बैकुण्ठपुर का उम्मीद है अगली बार मॅन्सन होगा

    1. सुनील पाण्डेय जी…. तस्वीरों के साथ दोनों स्थलों के बारे में जानकारी भेज सकते हैं… [email protected] पर ।

      1. जरूर सर आप के आदेश का पालन होगा

  4. Maidam mai amrish Yadav pramukh nichlaul mahrajganj UP prabandhak Rajendra prasad tara chand mahavidyalay nichlaul mahrajganj mai bhagyashali hu mera nanihal lavarchi barahaj me hai badi khushi hui aap ka Lekh padh kar thanks aap ko

  5. Thanks a lot you are very interesting explain in Rudrapur history I hope u again new history & new knowledge downloads in website I am kaushal kumar from gurgaon

  6. deoria ka matlab dev + ari hota hai jiska arth hota hai jaha devta ke dusman vas karte ho
    hindi ke koi vicharak apna mat de kya yeh sandi-viched sahi hai ya galat

  7. Bhawana ji ap deoria me ak pramukh steal or hai jis jgh ka nam h khukhundu jha pr Jain dharm ke sanshthapak mhavir ji ki behn rha krti thi jain dharm ke manne valo ke liye pavitr mana jata h hr sal yha jain dharm ke manne vale kafi log yha aate h mujhe yha ke vishay me jada jankari to ni h lekin me apne let dada ji mithae lal yadav ji se milne jb bhi khukhundu jaya karta tha to us jgh jaroor jata tha. Yha ke swatntrta senani vishwanath rai jo ki 3/ 4 bar loksabha sadasy rhe or unke marnouprant preminister Manmohan singh ji ne unke photo shit dak tickat jari kiya.rakesh kumar ( bairishtar) yadav rajkapoor. [email protected]

  8. Mam agar aapko permission de to Mai Apne Deoria k bare me kuchh aur achhi info share karu

  9. Dear madam aap ne apne Deoria & village Ka yad dela di . hum 10000 km dur Africa desh me h ,hum yahi se dew bhumi Deoria ko naman & yad karte h.

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