तनाव से मुक्ति के लिए एक पत्रकार बन गया योगगुरु

Dragon-Flyआज की भागदौड़ भरी ज़िंदगी में हर कोई व्यस्त है । किसी के पास वक्त नहीं । खासकर युवाओं के पास तो बिल्कुल नहीं । ना अपने लिए और ना ही अपनों के लिए। नतीजा ये कि सबसे आगे बढ़ने की होड़ ने हमें तनावग्रस्त और बीमार कर दिया है। रही सही कसर लगातार हो रही इलेक्ट्रॉनिक और सूचनाओं की बमबारी ने पूरी कर दी है। ऐसे में युवाओं का योग की ओर बढ़ता रुझान आश्यर्य में डालने जैसा नहीं है। इतना ही नहीं ग्लैमर और मोटी तन्ख्वाह वाली वाइट कॉलर जॉब को छोड़ युवा बड़े पैमाने पे योग के नए खैबनहार बन रहें हैं। क्या आपने कभी सोचा है कि 24 घंटे में आप अपने लिए कितना वक्त निकालते हैं, नहीं सोचा है तो जरा सोचिए, क्योंकि कहीं ना कहीं आप अपने से दूर हो रहे हैं और आपको पता तक नहीं चल रहा।  स्वामी  विवेकानंद ने कहा है कि ”अगर 24 घंटे में आप कुछ पल खुद से नहीं जुड़ते हैं तो आप एक बेहतरीन व्यक्ति से मिलने से वंचित हो रहे हैं ।”  विवेकानंद के इसी संदेश को करीब 6 साल पहले एक युवा पत्रकार ने समझा और निकल पड़ा खुद की तलाश में । आज वो पत्रकार एक योग गुरू बन चुका है । वशिष्ठ योग के संस्थापक योगगुरु धीरज वशिष्ठ  से बदलाव के लिए अरुण यादव  की योग-दर्शन, लाइफ-स्टाइल, योग पे सियासत और योग के उनके सफ़र पे  लंबी बातचीत का पहला अंश-

बदलाव आप एक पत्रकार से योग गुरू कैसे बने ?

13087387_1175119495833470_2395650133373073066_nयोगगुरु धीरज– अक्टूबर, 2009 में मैने न्यूज चैनल को अलविदा कह दिया। आखिरी दिनों में न्यूज 24 में कार्यरत था। । नाइट शिफ्ट लगी थी, तभी एक दिन मन में विचार आया कि “तुम हर किसी की ख़बर ले रहे हो लेकिन अपनी ख़बर कब लोगे” वो दिन मेरे जीवन का सबसे  अहम पल रहा, ये अंदर की आवाज़ थी। खुद से जुड़ जाने की आवाज और मैंने न्यूज़ की चकाचौंध वाली नौकरी छोड़ खुद के वजूद की तलाश में निकल पड़ा, योग की ओर।  ।

बदलाव- फिर आप ये बेहतर समझ रहे होंगे कि आज के युवा किन समस्याओं से जूझते हैं और उनके लिए योग कितना जरूरी है ?

योग गुरु धीरज- आज का युवा उत्साही है, लेकिन अकेले उत्साह से काम नहीं चलने वाला। हर दिन की भाददौ़ड़ और गला-काट प्रतियोगिता इस उत्साह को ठंड़ा कर सकता है। ऐसे में युवा को आज योगरुपी संजीवनी की बहुत ज़रुरत है। युवा बहुत मेहनत कर करियर में आगे तो बढ़ रहें हैं, लेकिन हर दिन बढ़ता तनाव और कमजोर पड़ता शारीरिक फिटनेस आगे उन्हें केरियर में पीछे छोड़ रहा है, बीमारियों की वजह से पैसे और जीवन की बर्बादी दूसरी ओर। वैसे आज का युवा सबसे ज्यादा जिस बात का रोना रोता है, वो है वक्त की कमी का। सच कहूं तो जो ये कहते हैं कि मेरे पास बिल्कुल वक्त नहीं है तो ये समझ लीजिए कि उसके लिए योग सबसे ज्यादा ज़रूरी है, क्योंकि वो सबसे ज्यादा तनाव में रहता होगा। ऐसे में योग ही एक मात्र साधन है, जो उसे तनाव मुक्त कर सकता है ।

बदलाव- वैस तो तनाव दूर करने के तमाम साधन बाजार में मौजूद हैं ऐसे में योग ही क्यों ?

योगगुरु धीरज-  देखिए योग कोई एक्सरसाइज नहीं है बल्कि ये एक साधना है। मनुष्य शरीर के अलावा कई तलों पे जिता है। योग के टूल्स के जरिए हम खुद के सभी आयामों यानी शरीर, मन,इमोशन और स्प्रीट से जुड़ पाते हैं। जिम, एरोविक्स और दूसरी पद्धतियां सिर्फ और सिर्फ शरीर पे काम कर रही हैं। ऐसे माना जाता है कि मानव ने आजतक तनाव को दूर करने के जितने भी उपाय निकाले हैं, योग उसमें से अचूक और सर्वश्रेष्ठ है।

12799248_596679003829096_6038240413969686865_nबदलाव- योग एक लंबी प्रक्रिया है करियर ओरियंटेड युवाओं के लिए इतना वक्त दे पाना कैसे संभव होगा ?

योगगुरु धीरज- आपने सही कहा, आज का युवा करियर ओरियंटेड हो गया है और यही वो चीज है, जो उन्हें अपने आप से दूर कर रही है जबकि हमें लाइफ ओरियंटेड होना चाहिए। जरा सोचिए अगर आपका शरीर ही आपका साथ नहीं देगा तो आपको कौन पूछेगा- ना कंपनी और ना ही घर वाले । आज हम पब्लिक रिलेशन बनाने के चक्कर में खुद से रिलेशन खत्म करते जा रहे हैं। ज़रूरत है तो खुद को समझने की और योग खुद से जुड़ने का सबसे अच्छा साधन है।

बदलाव- क्या स्वस्थ व्यक्ति के लिए भी योग जरूरी है ? सामान्य व्यक्ति को हर रोज कम से कम कितना वक्त योग के लिए निकालना चाहिए ?

13076824_1175120075833412_5697622614008951434_nयोगगुरु धीरज- कहने के लिए तो आज हर कोई कहता है हेल्थ इज वेल्थ लेकिन ये सिर्फ शब्दों तक ही सीमित है। हर रोज अगर आप 20 मिनट भी अपने लिए निकालकर योग करते हैं तो आपके जीवन के लिए वो संजीवनी साबित होगा। इसमें आसन, प्राणायाम, ध्यान शामिल होने चाहिए जो आपको तनाव से तो दूर करेगा ही साथ ही निरोग रखने में भी मदद करेगा । योग बीमार लोगों के लिए नहीं बल्कि स्वस्थ लोगों के लिए भी है। इसीलिए कहा भी गया है- “हेयम दुखम अनागतम, यानी जो दुख नहीं आया उससे भी निपटा जा सकता है।”

बदलाव- अगर कोई योग करना चाहता है तो उसे किन बातों पर ध्यान देना चाहिए ?

योगगुरु धीरज- पहली बात तो आपको योग बिना किसी प्रशिक्षक के नहीं करना चाहिए, पहले किसी कुशल योग गुरू की निगरानी में योग का अभ्यास करें। वैसे आप बाजार में मौजूद तमाम साधनों का इस्तेमाल और बारीकी से अध्ययन करके भी योग सीख सकते हैं । वशिष्ठ योग के यूटूब चैनल पे नए योगी से लेकर योग थेरेपी से बड़े आसना विडियो हैं, जिसको देख और समझ कर खुद से भी प्रैक्टिस की जा सकती है। फिर भी मैं यही कहूंगा कि शुरुआत कुशल योग प्रशिक्षक की निगरानी में ही करें ।

बदलाव- मीडिया के लोगों को योग के लिए कोई खास टिप्स देना चाहेंगे ?

योगगुरु धीरज- मीडिया में काम करने वालों की हर पल शिफ्ट बदलती रहती है । लाइफ स्टाइल बहुत खराब है । सीट पर बैठे तो उठने का वक्त भी नहीं मिलता, लिहाजा ज्यादा परेशानी तनाव, स्पाइन और कमर दर्द की रहती है। तनाव की वजह से आजकल ब्रेन हैम्म्रेज और हार्ट अटैक की समस्या भी होने लगी है । ऐसे में मीडिया में काम करने वाले के लिए तो योग बेहद ही जरूरी है । कुछ समझ में ना आए तो जब भी वक्त मिले आप सांसों को देखें या ऊं और भ्रामरी साउंड के जरिए खुद को मन के विचारों की बोझ से दूर कर तरोताज़ा रख सकते हैं।

तनाव दूर करने के योग के लिए क्लिक करें ( https://www.youtube.com/watch?v=pRfUN-5gF54&list=PLh3g0qrypDn0hD88RuKyVsKKw1KE2JMMk&index=11 )

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योगगुरु धीरज वशिष्ठ का संक्षिप्त परिचय

20 दिसंबर 1978 में बिहार में जन्म

2005 में IIMC से पत्रकारिता का कोर्स

2005 से 2011 तक न्यूज़ चैनल में काम

जुलाई 2011 में वशिष्ठ योग फाउंडेशन बनाया

देश के कई शहरों में योग के कैंप लगाए

तिहाड़, बैऊर, साबरमती जैसे देश के कई जेलों में कैदियों प्रशिक्षण पुलिस, कम्युनिटी, कॉरपोरेट, सरकारी दफ्तरों योग की ट्रेनिंग

अनाथालय, दिव्यांगगों और बच्चों समेत समाजे के कई तबकों तक योग का संदेश पहुंचा रहें हैं

बदलाव- ऐसा कोई उपाय बताइए जिससे वक्त भी कम लगे और योग भी हो जाए । ।

योगगुरु धीरज- वैसे ऐसे लोगों के लिए , प्राणायाम, कुछ मिनट सांसों पर ध्यान और सूर्य नमस्कार सबसे सटीक उपाय है। सूर्य नमस्कार योग के एक  ऐसी प्रक्रिया है जिसमें शरीर के हर अंग का इस्तेमाल हो जाता है । सूर्य नमस्कार के एक सेट को  करने में बमुश्किल 2 मिनट लगता है

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बदलाव- सूर्य नमस्कार पर काफी विवाद होता रहा है इसमें धर्म को जोड़ना कितना सही है ?

योगगुरु धीरज- देखिए ये सब शुद्ध रूप से सियासत है और ऐसा करके लोग योग का भला नहीं कर रहे बल्कि योग के लाभ से लोगों को दूर कर रहे हैं । योग का धर्म से कोई लेना-देना नहीं । इसलिए जो भी खुद से प्यार करता है उसे योग करना चाहिए ।

बदलाव- आपने मीडिया की नौकरी छोड़ योग को अपने जीवन का साधन बना लिया और दूसरों को भी अपना जीवन सुखमय बनाने की प्रेरणा दे रहे हैं। टीम बदलाव की तरफ से आपको अपने लक्ष्य तक पहुंचने की शुभकामनाएं ।

योगगुरु धीरज- शुक्रिया

वशिष्ठ योग की वेबसाइट- vyfhealth.com

वशिष्ट योग ऑनलाइन लर्निंग –  youtube.com/vashisthayoga


arun profile1अरुण यादव। उत्तरप्रदेश के जौनपुर के निवासी। इलाहाबाद यूनिवर्सिटी के पूर्व छात्र। इन दिनों इलेक्ट्रॉनिक मीडिया में सक्रिय।


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