छात्रों की कामयाबी ही गुरु का सबसे बड़ा सम्मान

दलजीत सिंह बिष्ट, प्रवक्ता, भौतिक विज्ञान
दलजीत सिंह बिष्ट, प्रवक्ता, भौतिक विज्ञान

पुरुषोत्तम असनोड़ा

रविवार हो या कोई छुट्टी का दिन, गुरुजी रोज विद्यालय जाएंगे, पढायेंगे और अच्छे नम्बरों के टिप्स अपने विद्यार्थियों को देंगे। हां, परिणाम भी है, भौतिक विज्ञान जैसे विषय में गुरुजी के छात्रों का परीक्षाफल किसी भी सत्र में 90 प्रतिशत से कम नहीं रहा। छात्र-छात्राओं को उनकी सलाह होती है कि कभी भी और कहीं भी वे पाठ्यक्रम सम्बन्धी समस्या को लेकर मिल सकते हैं। हर वक्त छात्रों की मदद के लिए उत्सुक रहने वाले गुरुजी को पूरे इलाके में सम्मान की नज़र से देखा जाता है। जिन स्कूलों में पढ़ा चुके हैं वहां के छात्र भी उनसे जुड़े हुए हैं और जरूरत पड़ने पर सलाह लेते हैं।

राजकीय इण्टर कॉलेज गैरसैंण के भौतिक विज्ञान प्रवक्ता दलजीतसिंह बिष्ट छात्रों के जीवन को आसान बनाने और उनमें कामयाबी के रंग भरने का काम कर रहे हैं। छात्रों को हर संभव मदद करने की कोशिश करते हैं। प्रयास रहता है कि जितना भी समय हो सके छात्रों को दिया जाए। उनके लिए रविवार और छुट्टी का महत्व इतना भर है कि उन्होंने कितने छात्रों को पढ़ाया, कितने सवालों का जवाब दिया, कितनों की काउंसलिंग की। भौतिक विज्ञान व राजनीति विज्ञान के परास्नातक दलजीतसिंह बिष्ट 1987 में अंशकालिक शिक्षक के रुप में विद्यालयी शिक्षा से जुड़े। सन् 1989 में स्थायी सेवा में आये। लाटूगैर, मेहलचैरी, रोहिडा इण्टर कॉलेज में अध्यापन के बाद वे वर्तमान में राइका गैरसैंण में कार्यरत हैं।

D S Bisht बिष्ट शिक्षा के गिरते स्तर के लिए सरकारी नीतियों को जिम्मेदार मानते हैं। वे कहते हैं- “सबके लिए समान शिक्षा हो और सीबीएसई पाठ्यक्रम प्राथमिक स्तर से लागू होना चाहिए।” शिक्षकों पर शिक्षण के अलावा दूसरे कार्यों को बोझ मानते हुए कहते हैं- “शिक्षकों पर पीढ़ियां बनाने की जिम्मेदारी है और एक साथ कई जिम्मेदारियां अव्यवस्था को जन्म देती हैं।”

मूल्यांकन पद्धति में बड़े सुधारों की पक्षधर हैं बिष्ट। उनके मुताबिक किसी को अनुत्तीर्ण न करने जैसे नियमों में सुधार करना पड़ेगा। शिक्षकों को भौतिकवादी दृष्टिकोण न अपनाने की सलाह देते हुए दलजीतसिंह कहते हैं कि “हमें छात्र हित में संलग्न रह कर शिक्षा के स्तर और व्यवस्था में परिवर्तन लाना होगा।” रात-दिन शिक्षा और छात्र हित में सोचने वाले शिक्षक तमाम पुरस्कारों की दौड में पीछे छूट जाते हैं और दलजीतसिंह बिष्ट के साथ भी वही हुआ है। कहना न होगा कि छात्र-छात्राओं के चेहेते शिक्षक को अब तक कोई पुरस्कार नहीं मिला है। वो बच्चों के मुस्कुराते चेहरों में तमाम पुरस्कार हासिल कर लेते हैं और उनकी कामयाबी से खुद ब खुद एक गुरु का सम्मान भी बढ़ता चला जाता है।


पुरुषोत्तम असनोड़ा। आप 40 साल से जनसरोकारों की पत्रकारिता कर रहे हैं। मासिक पत्रिका रीजनल रिपोर्टर के संपादक हैं। आपसे  purushottamasnora @gmail.com या मोबाइल नंबर– 09639825699 पर संपर्क किया जा सकता है।


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