खुद से प्यार करते हो तो कर लेना योग

फोटो- वशिष्ठ योगा
फोटो- वशिष्ठ योग

अरुण यादव

विश्व योग दिवस आने वाला है। हर कोई योग उत्सव की तैयारियों में जुटा है। अपने-अपने तरीके से हर कोई योग को बढ़ावा देने में लगा है । जैसे-जैसे योग दिवस यानी 21 जून करीब आता है सियासत भी गरमाने लगती है । पिछली बार सूर्यनमस्कार तो इस बार ऊं का उच्चारण । हालांकि पिछली बार की तरह इस बार भी सरकार को बैकफुट पर आना पड़ा और कहना पड़ा की ऊं अनिवार्य नहीं होगा । ऐसे में सवाल उठता है कि आखिर योग के साथ ऐसे विवाद क्यों जोड़े जाते हैं । क्या योग का कोई धर्म होता है अगर नहीं तो फिर बेवजह के विवाद क्यों होते हैं ।  क्या ऊं के उच्चारण से कोई धर्म से विरक्त हो सकता है या फिर जो चीज आपको निरोग रखती हो उसे धर्म से ऊपर नहीं रखा जाना चाहिए । इन्हीं सवालों के जवाब तलाशने के लिए टीम बदलाव ने पिछले दिनों वशिष्ठ योग फाउंडेशन के संस्थापक योगगुरु धीरज से बात की थी । पेश है उसका एक और अंशyoga Surya-Namaska

बदलाव- योग दिवस से पहले हर बार कुछ ना कुछ विवाद जुड़ जाता है, क्या योग का कोई धर्म होता है ?

योगगुरु धीरज-  योग धर्म या दुख से मुक्ति का साधन  । क्योंकि उसका सिर्फ एक ही धर्म है और वो है तकलीफ को कम करना । योग विवादों के निपटारे का नाम है ना कि विवाद खड़ा करने का साधन ।  योग को लेकर कोई भी विवाद दुर्भाग्यपूर्ण है ।

बदलाव- कभी सूर्य नमस्कार तो कभी ऊं के उच्चारण पर बखेड़ा ये कितना तर्क संगत है ?

योगगुरु धीरज- मेरा मानना है कि ये शुद्ध रूप से सियासत है और कुछ नहीं । ऐसा करके लोग योग के लाभ से लोगों को दूर कर रहे हैं । इसलिए जो खुद से प्यार करता है चाहे वो किसी भी धर्म का हो उसे योग करना चाहिए । योग के आयामों को समझें उसपर होने वाली सियासत पर बिल्कुल ध्यान न दें । सिर्फ योग करें और निरोग रहें ।

योगगुरु धीरज वशिष्ठ
योगगुरु धीरज वशिष्ठ

बदलाव- ऊं का उच्चारण योग में कितना जरूरी है ?

योगगुरु धीरज- ऊं एक ब्रह्मांडीय ध्वनि है और ध्वनि का कोई धर्म नहीं होता। ये एक ऐसी ध्वनि है जो हमारे शरीर में ऊर्जा का संचार करती है साथ ही मन मस्तिष्क को एकाग्र भी करती है । योग एक प्राचीन पद्यति है जिसके अभ्यास की शुरुआत ऊं से होती थी । चूंकी हमारी संस्कृति प्रचीनतम है लिहाजा लोग हिंदू धर्म से जोड़कर देखने लगे ।

बदलाव- कुछ लोग कहते हैं मुसलमानों को सूर्य नमस्कार  नहीं करना चाहिए ?

योगगुरु धीरज- हमार देश में हर तरह के लोग हैं कुछ काम करते हैं कुछ सियासत । कुछ लोगों को अपनी सियासत की दुकान चलानी होती है लिहाजा ऐसे लोग अपने फायदे के लिए आपको लाभ से दूर कर देते हैं । जहां तक सूर्य नमस्कार की बात है तो योग में जिस सूर्य को नमस्कार किया जाता है वो अपने भीतर का तेज रूपी सूर्य है । इसके जरिए आप अपने भीतर के तेज को जगाते हैं और यही वजह है कि इसका नाम सूर्य नमस्कार पड़ा होगा । ये एक ऐसा आसन है जो खुद में संपूर्ण है और इसमें वक्त भी कम लगता है । अहमदाबाद में तमाम मुस्लिम परिवार ऐसे हैं जो ‘वशिष्ठ योग’ आते हैं और सिर्फ सूर्य नमस्कार ही करते हैं । ऐसे में जरूरी है कि हम सियासत की बजाय इसके फायदे के बारे में लोगों को जागरुक करें ।

योग दिवस पर वशिष्ठ योग की पहलयोग दिवस पर वशिष्ठ योग की पहल

तीन दिन तक अहमदाबाद में फ्री हेल्थ चेकअप

ओपोल हॉस्पिटल के डॉक्टर की निगरानी में जांच

19 से 21 जून तक मुफ्त योग कार्यशाला का आयोजन

आसन, प्राणायाम, ध्यान और भावना का अभ्यास

समय- सुबह 6-7 बजे और 21 जून को 7.30 बजे तक

स्थान- बरसाना, एसजी हाइवे, अहमदाबाद, गुजरात

आपका योग सेहत गाइडलाइऩ : vyfhealth.com

 बदलाव- योग करने के इच्छुक लोगों को कोई संदेश देना चाहेंगे ?

योगगुरू धीरज- बस मैं यही कहूंगा कि योग खुद से जुड़ने का सबसे अच्छा साधन है और योग के आयाम बहाना है योग से जुड़ने के नहीं खुद के जुड़ने के । वैसे छोटी चीजें पाने के लिए हम हर दिन बहुत तनाव लेते है, परिश्रम करते हैं, तो क्यों नहीं अपने प्यारे तन-मन के बारे में सोचें । रोजमर्रा की दौड़भाग से आइए थोड़ा विश्राम लेकर सेहत और जिंदगी की सुध लें। एक स्वस्थ शरीर ही जीवन का वास्तिवक आनंद ले सकता है । इसलिए आप सियासत में ना उलझें योग के फायदे को समझें । खुद भी योग करें और दूसरों को भी योग के लिए प्रेरित करें ।

21 जून को क्यों मनाते है योग दिवस ?

भारत की पहल पर संयुक्त राष्ट्र के एलान के बाद 21 जून को हर साल विश्व योग दिवस मनाया जाता है। 21 जून को सूर्य धरती की दृष्टि से उत्तर से दक्षिण की ओर चलना शुरू करता है। अध्यात्मिक नज़रिए से ये संक्रमण का काल होता है और ऐसे में साधना की अहमियत पे जोर दिया गया है। माना जाता है कि इसी संक्रमण काल के वक्त आदिगुरु शिव ने योग की शिक्षा सप्त श्रृषियों की दी थी। यही वजह है कि 21 जून को ही विश्व योग दिवस मनाये जाने का फ़ैसला हुआ था।


 अरुण यादव। उत्तरप्रदेश के जौनपुर के निवासी। इलाहाबाद यूनिवर्सिटी के पूर्व छात्र। इन दिनों इलेक्ट्रॉनिक मीडिया में सक्रिय