क्योंकि मैं किसान हूँ….

मैं तो दबा , कुचला एक इन्सान हूँ...
मैं तो दबा , कुचला एक इन्सान हूँ… फोटो स्रोत- wikipedia

नेताजी पूछे तुम कौन हो…?
मैंने बोला,  इन्सान हूँ….

क्या तेरे पास गाड़ी है…?
हाँ मेरे पास बैलगाड़ी है …

नेताजी, वैश्वीकरण के इस युग में बैलगाड़ी… ?
हाँ , ये भारत की सवारी है…

नेताजी , अरे! मैंने तो सस्ते दर पर क़र्ज़ की व्यवस्था की है?
हाँ,  इसीलिए मोतिया ने आत्महत्या की है…?
नेताजी , आत्महत्या? ये जरूर विपक्षी पार्टी की चाल है…?
नहीं, यह तो आपके कमीशन का कमाल है…?

मैं तो दबा , कुचला एक इन्सान हूँ….
क्योंकि मैं भारत का किसान हूँ …

 

सत्येंद्र कुमार यादव फिलहाल इंडिया टीवी में कार्यरत हैं और गांव अब भी उनके दिल में धड़कता है। उनसे मोबाइल- 9560206805 पर संपर्क किया जा सकता है।

One thought on “क्योंकि मैं किसान हूँ….

  1. वाह खूब । इन मात्र बारह पंक्तियों में देश के इन धरापुत्रों की सम्पूर्ण करुण कहानी कह देने के लिए बधाई ।

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