वो तो शौचालय भी हज़म कर गए!

बेटियां खुले में शौच जाने को मजबूर। भ्रष्टाचार में लिप्त अधिकारी और नेताजी कुछ तो शर्म करें।- फोटो- आशीष सागर
बेटियां खुले में शौच जाने को मजबूर। भ्रष्टाचार में लिप्त अधिकारी और नेताजी कुछ तो शर्म करें।- फोटो- आशीष सागर


देश के प्रधानमंत्री और निर्मल भारतअभियान के संयोजक नरेंद्र मोदी यूँ तो अपने संसदीय इलाके काशी के जयापुर गाँव में आदर्श सांसद ग्राम योजना से विकास कार्य करवा रहे हैं ! क्या उनके फॉलोवर नेता और अन्य दलों के लोकसेवक अपनेअपने संसदीय क्षेत्र की सुध-बुध लेते हैं, ये सवाल है मोदी से?

बुंदेलखंड के चित्रकूट बाँदा लोकसभा से भाजपा सांसद भैरो प्रसाद मिश्रा का गोद लिया गाँव है- कटरा कालिंजर ( नरैनी तहसील में ) निर्मल भारत पर पलीता लगाती ये तस्वीरें बाँदा के जिला मुख्यालय के अमूमन हर गाँव में है!

आशीष की आंखों-देखी- एक

गौरतलब है कि उत्तर प्रदेश सरकार के आदेश पर प्रत्येक जिले के आला अधिकारियो ने गाँव गोद लिए हैं! बाँदा में अठारह गाँव गोद लिए गए हैं, जिनको आयुक्त, जिलाधिकारी, उपजिलाधिकारी, तहसीलदार ने गोद लिया है! शौचालय इन्हीं अठारह गाँव में सबसे अधिक नदारद हैं! इनमें मुंगुस, गुखरही, डिंगवाही (पूर्व निर्मल गाँव), लुकतरा (पूर्व निर्मल गाँव), बरसडा बुजुर्ग, मसनी, मौसोनीभरतपुर, पुकारी, नीबी, गुरेह आदि है! साथ ही नरैनी के रानीपुर ग्राम पंचायत, परसहर का बरियारपुर, सौता हरिजन बस्ती, नौगाँव इनमें मौके से 50 से 100 शौचालय गायब पाए गए हैं! इनका रुपया हजम किया गया! गाँव वाले कहते हैं कि पहले मिलने वाले 3200 रुपये से शौचालय नहीं बन सकता, अब 12 हजार मिलना है तब बनायेंगे (राज्य वित्त से) !!! क्या करें नीयत का सवाल है?

इसके साथ बाँदा जिले की अन्य ग्राम पंचायत में निर्मल भारत अभियान की सच्चाई यही है कि गाँव के बुजुर्ग, महिला, किशोरी और बच्चे खेतों में आज भी शौच जाते हैं, आज़ादी के 68 साल बाद भी! सांसदजी इस गाँव में गत आठ महीने में दो बार गए हैं, मगर उनके नाम का पत्थर अभी तक गाँव में नहीं लगा है !

तीन सैकड़ा ग्राम पंचायतों में इस अभियान के तहत वर्ष 2003 से वर्ष 2014 वित्तीय माह तक कुल 24,41,714.62 लाख रूपये खर्च हुआ है। गरीबी रेखा से नीचे जीवन यापन करने वालों के शौचालय में और पांच साल में 18271 शौचालय पर 9,39,79,200 लाख रूपये का खेल ! सूचनाधिकार से मिले ये आकंड़े गाँव की बदहाली की पोल तो खोल ही रहे हैं, साथ ही ये भी बतलाते हैं कि यह देश आज भी कहाँ खड़ा है?

हकीकत ये भी है कि सरकारी योजनाओं की बदौलत मुफ़्तखोर बन चुके लोग मल त्यागने के रूपये खाकर भी बेहया हैं! इस भ्रष्टाचार में शामिल हैं ग्राम प्रधान, सचिव और अन्य आला अधिकारी ! इन्हीं ग्राम पंचायतों में बीस निर्मल ग्राम भी हैं, जिन्हें एक लाख रुपये अवार्ड और राष्ट्रपति का सम्मान भी मिला, सफाई के लिए- मगर सब खेल कागजों पर हुआ!

ashish profileबाँदा से आरटीआई एक्टिविस्ट आशीष सागर की रिपोर्ट। फेसबुक पर एकला चलो रे के नारे के साथ आशीष अपने तरह की मस्त मौला रिपोर्टिंग कर रहे हैं।

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