राफेल की रार और सियासी चाल

राफेल की रार और सियासी चाल

राकेश कायस्थ

राफेल मामले पर सुप्रीम कोर्ट के फैसले के बाद राहुल गांधी की यह पहली प्रतिक्रिया है। आरोप लगाने का अंदाज़ पहले से कहीं ज्यादा तीखा है जबकि बीजेपी कोर्ट से फैसला अपने पक्ष में आने का जश्न मना रही है।
कांग्रेस जो दावा कर रही है, उसका मतलब यही है कि अदालत ने गलत तथ्यों के आधार पर निर्णय दिया है। कैग ने कोई रिपोर्ट ही नहीं दी और उसे आधार बनाकर कोर्ट ने फैसला सुना दिया है।
तो क्या राहुल गांधी और मलिकार्जुन खड़गे झूठ बोल रहे हैं? अगर ऐसा है तो यह अदालत की अवमानना और देश को गुमराह करने का बेहद गंभीर मामला है। सुप्रीम कोर्ट को तत्काल इसका संज्ञान लेकर कार्रवाई करनी चाहिए। 
लेकिन अगर राहुल गांधी की बात सच साबित हुई तो? फिर तो इसका मतलब यही है कि सरकार जालसाजी कर रही है और कानून सचमुच अंधा है। पूरे मामले में कोई ना कोई चोर तो है। 
जिसने भी चोरी की हो, उसके चेहरे से नकाब हटना चाहिए। राफेल मामला इतनी आसानी से रफा-दफा नहीं होगा।

उर्मिलेश / हर मुद्दे पर कोर्ट की शरण जाने के पक्षधर-मित्र माफ करेंगे! न्यायालयों के प्रति मेरा पूरा सम्मान है पर मेरे हिसाब से रफाल-सौदे पर सुप्रीम कोर्ट जाने के विचार में समझदारी कम थी! 
राजनीतिक या आर्थिक विवाद के बड़े और जटिल मसलों को आज के भारत में कोर्ट-कचहरी के जरिए निपटाने का विचार मूर्खता भरा है। ऐसे मसलों पर ठोस कदम के लिए संसद या फिर जनता की अदालत ही सही मंच है!

पीयूष बबेले 
न बोफोर्स हुआ, न हवाला हुआ, न टू जी हुआ, न कोयला हुआ, न डंपर हुआ, न व्यापम हुआ. ऐसे ही अब राफेल भी नहीं हुआ. बोलो सियापति रामचंद्र की जय.